लखनऊ। कोरोना की दूसरी लहर ने शहर से लेकर गांव तक कोहराम मचाया हुआ है। जानलेवा बनी इस महामारी ने सरकारी व्यवस्थाओं की पोल खोलकर रख दी है। यूपी का ऐसा ही गांव है, जहां एक के बाद एक कोरोना के लक्षणों वाले 25 मरीजों की मौतें हुईं। लेकिन, सरकारी इंतजाम लोगों की गुहार के बाद भी उनकी पहुंच से बाहर ही रहा। जिसके बाद गांव के युवाओं ने खुद ही कोरोना को रोकने की कमान संभाली और इस पर काफी हद तक कामयाबी भी पाई है।
देश की राजधानी दिल्ली से महज 70 किलोमीटर दूर गाजियाबाद, मेरठ और बागपत की सरहद के खानपुर गांव में कोरोना महामारी से करीब 25 लोगो की मौत हो गई। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी से यहां किसी का कोरोना टेस्ट तक नहीं हो सका। गांव की लोकप्रिय अंग्रेजी शिक्षिका की मौत के बाद युवाओं ने कोरोना से लड़ने की रणनीति बनाई और मौतों का सिलसिला रोक दिया।
मेरठ के खानपुर गांव की दिव्यांग संतोष शर्मा 66 साल की थी। संतोष शर्मा निजी स्कूल में अंग्रेजी की शिक्षिका थी और उनके पढ़ाये हुए शिष्य देश विदेश तक फैले हुए हैं। पंचायत चुनाव के दौरान गांव में उनसे मिलने के लिए बहुत से लोग आए और उन्हीं में से कोई उन्हें कोरोना का संक्रमण दे गया। संतोष शर्मा के बेटे उन्हें लेकर ऑक्सीजन और अस्पताल की तलाश में मेरठ में 2 दिन तक भटकते रहे लेकिन इलाज नहीं मिल सका 4 मई की शाम को संतोष शर्मा की सांसें थम गई।
इसी तरह पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाली शिक्षिका कोमल चौधरी भी कोरोना संक्रमण का शिकार हुई और उनकी मौत हो गई। खानपुर गांव में ऐसी भयावह मौतों की संख्या करीब 25 है। मई के पहले हफ्ते में यह सिलसिला तेजी से बढ़ा और गांव के सैकड़ों लोग कोरोना लक्षण वाले बुखार खांसी और सर्दी से पीड़ित हो गए। गांव वाले स्वास्थ्य विभाग के अफसरों और नेताओं से गुहार करते रहे लेकिन कोई भी मदद को नहीं आया।
ऑक्सीजन और इलाज के अभाव में तिल तिल कर मरी संतोष शर्मा की मौत से उनके शिष्यों को बहुत दुख हुआ और उन्होंने गांव की सूरत बदलने की ठान ली। वो भी बिना किसी सरकारी मदद के। एक व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए देश-विदेश में फैले गांव के लोगों से संपर्क कर के युवाओं ने मदद मांगी और गांव को बचाने का काफिला चल पड़ा।
गांव के युवाओं ने श्रमदान करके गांव की सफाई की और लगातार सैनिटाइजेशन कर रहे हैं। टीमें बनाकर घर में आइसोलेट मरीजों को निगरानी की जा रही है और गांव के ही दो प्राइवेट डॉक्टरों के जरिए मरीजों को इलाज मुहैया कराया जा रहा है। गांव के सरकारी स्कूल में 6 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है जहां ऑक्सीजन की उपलब्धता है। फिलहाल मौतों का सिलसिला थम गया है लेकिन सरकार और सरकार के नुमाइंदे नौकरशाह इस गांव में झांकने तक नहीं आए। गांव के बदलाव की खबरें जब बाहर तक पहुंची तब स्वास्थ्य विभाग की टीम ने यहां कुछ कोरोना टेस्ट किए हैं और 80 से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाई है।