लखनऊ: यूपी की सत्ता को संभालने वाली बहुजन समाज पार्टी और पार्टी की मुखिया मायावती के लिए आने वाला विधानसभा चुनाव बड़ी चुनौती साबित होने वाला है। बीते कुछ चुनाव में नतीजे इनके पक्ष में नहीं रहे हैं। ऐसे में आने वाला 2022 का महासंग्राम बसपा के राजनीतिक भविष्य का निर्धारण कर सकता है।
80 से 19 सीटों पर सिमटी बसपा
2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी में एकतरफा शानदार प्रदर्शन करते हुए 214 सीटों पर जीत दर्ज की थी। दूसरे नंबर पर बहुजन समाज पार्टी ने 80 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को जीत दिलाई। बीजेपी मात्र 47 सीटों पर सिमट गई थी, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में जहां समाजवादी पार्टी सत्ता से बाहर हो गई।
वहीं बीएसपी के लिए अपने अस्तित्व को बचाने की चुनौती सामने आ गई। बीजेपी ने ताबड़तोड़ प्रदर्शन करते हुए 312 सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं समाजवादी पार्टी 45 सीटों पर सिमट गई और बसपा को मात्र 19 सीटें मिली।
नहीं चला कर गठबंधन वाला साथ
सपा-बसपा के बीच 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन हुआ। पुराने सभी गिले-शिकवे भूलकर दोनों पार्टियां एक साथ आ गईं। 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा को एक भी सीट नहीं मिली थी, बीजेपी में 71 सीटों पर जीत दर्ज की और समाजवादी पार्टी सहित अन्य दल दहाई का अंक भी नहीं छू पाए थे।
इस स्थिति से बचने के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच गठबंधन हुआ। गठबंधन करके समाजवादी पार्टी को तो ज्यादा फायदा नहीं हुआ लेकिन बहुजन समाज पार्टी ने अपने खाते में 10 सीटें और जोड़ लीं। इसके कुछ दिन बाद यह गठबंधन टूट गया।
अब यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए पार्टियां अलग-अलग चुनाव मैदान में उतर रही हैं। सामने बीजेपी की ताकत होगी, जहां समाजवादी पार्टी दोबारा सत्ता में वापसी करने की कोशिश करेगी। वहीं बहुजन समाज पार्टी अपना जनाधार जनता के बीच दोबारा जीतने के लिए इस चुनावी घमासान में उतरेगी।