नई दिल्ली। 11 अक्टूबर 2007 में हुए अजमेर धमाकों को लेकर आज कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 9 अभियुक्ताें में से 3 को दोषी करार दिया है। इसमें भावेश, देवेंद्र गुप्ता और मृतक सुशील जोशी को दोषी करार दिया है। इसके साथ ही साक्ष्यों के अभाव में स्वामी असीमानंद को मामले से बरी कर दिया है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 5 लोेगों को मामले से बरी भी कर दिया है।
जयपुर की एनआईए कोर्ट ने आज सुनावई की, यहां पर आपको बता दें कि इस मामले में 16 मार्च को सजा का एलान किया जाएगा। आपको बता दें कि मामले में जो चार्जशीट पेश की गई थी उसमें बताया गया था कि आरोपियों ने 2002 में अमरनाथ यात्रा और रघुनाथ मंदिर पर हुए हमले का बदला लेने के लिए अजमेर शरीफ दरगाह और हैदराबाद की मक्का मस्जिद में बम ब्लास्ट की साजिश रची थी। इसके साथ ही बताया गया था कि धमाका स्थल से पुलिस को दो सिम कार्ड और एक मोबाइल बरामद हुए थे, चार्जशीट में बताया गया था कि सिम कार्ड झारखंड और पश्चिम बंगाल से खरीदे गए थे।
क्या है मामला- आपको बता दें कि वर्ष 2007 में 11 अक्टूबर को अजमेर के दरगाह में शाम को रोजा इफ्तार के दौरान ब्लास्ट हुआ था जिसमें 3 लोगांे की मौत हुई और 15 से अधिक लोग घायल हुए थे, मौका ए वादात पर पुलिस को एक बैग में जिंदा बम भी प्राप्त हुआ था जिसे टीम ने डिफ्यूज कर दिया था। घटना के तीन साल बाद 20 अक्टूबर 2010 को राजस्थान एटीएस ने अजमेर में तीन आरोपियों के खिलाफ चार्ज शीट पेश की थी। अगले ही साल 2011 में केस को एनआईए ने ले लिया था जिसके बाद 13 आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया गया था। मामले में दोषी करार दिए गए एक आरेापी सुनील जोशी की हत्या हो चुकी है जिसे आज दोषी करार दिया गया है।