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मोदी ने किया आईएएस को फोन, 2 महीने से बंद त्रिपुरा हाइवे 4 दिन में शुरू

modi 5 मोदी ने किया आईएएस को फोन, 2 महीने से बंद त्रिपुरा हाइवे 4 दिन में शुरू

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम करने के तरीकों से तो सभी वाकिफ हैं और लोग उसे काफी पसंद भी करते हैं। ऐसा ही एक और मामला सामने आया है जिसमें सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री का एक पोस्ट वायरल हो रहा है। इस पोस्ट में प्रधानमंत्री द्वारा एक आईएएस अधिकारी को रात में 10 बजे फोन करने की बात सामने आई है साथ ही कहा जा रहा है कि उन्होंने इतनी देर रात फोन करने पर अधिकारी से मांफी भी मांगी है।

बता दें, त्रिपुरा को देश से जोड़ने वाला नेशनल हाईवे 8 दो महीने से बंद था। जरूरी सामान की सप्लाई भी ठप थी। सड़क का 15 किमी लंबा हिस्सा क्षतिग्रस्त था। कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 जुलाई की रात 10 बजे नॉर्थ त्रिपुरा के एक आईएएस अधिकारी को फोन किया और जिसके बाद महज चार दिन में हाईवे फिर से खुल गया।

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मिली जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कैबिनेट मंत्री के साथ बैठक खत्म करके 21 जुलाई की रात 10 बजे त्रिपुरा के एक आईएएस अधिकारी को फोन किया और कहा कि एनएच 8 मामले में केंद्र ने असम और त्रिपुरा सरकारों से बात कर ली है। हमें बस सड़क रिपेयरिंग में आपकी मदद चाहिए। जो भी जरूरत होगी, मुहैया करवा दी जाएंगी।

इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईएएस से लेट फोन करने के लिए माफी भी मांगी। इस वाकिये के बाद आईएएस अधिकारी रात भर सो नहीं सका और अगली सुबह जब अधिकारी अपने कार्यालय गए और उन्होंने त्रिपुरा सरकार, भारत सरकार को फोन किया और सड़क को लेकर चर्चा की इसके बाद वे सड़क का दौरा करने अपने स्टाफ और संबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ पहुंचे तो उन्हें नेशनल हाईवे पर ही असम सरकार की ओर से भेजी गई 6 जेसीबी मशीन वहां मिली। इतना ही नहीं करीब 4 दिनों में ही वहां पर सड़क बनाने का सामान 300 ट्रक भरकर पहुंचा दिया गया। इसके बाद कलेक्टर ने त्रिपुरा के लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों और स्थानीय मजदूरों के साथ मिलकर हाईवे की मरम्मत की व गाड़ियों के आने-जाने का रास्ता बना दिया।

गौरतलब है कि जुलाई में भारी बारिश के कारण असम-त्रिपुरा नेशनल हाइवे डैमेज हो गया था। यहां ट्रक नहीं पहुंच पा रहे थे जिसके कारण त्रिपुरा में पेट्रोल की कीमत 300 रुपए प्रति लीटर और डीजल की कीमत 150 रुपए तक पहुंच गई थी। उस वक्त असम और त्रिपुरा की सरकार ने केंद्र से मदद भी मांगी थी। असम-त्रिपुरा नेशनल हाइवे त्रिपुरा के लिए लाइफलाइन माना जाता है।

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