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लखनऊ: 1 जुलाई डॉक्टर्स डे स्पेशल, पिछले कुछ सालों में कैसा रहा है मरीजों के साथ रिश्ता…

लखनऊ: 1 जुलाई डॉक्टर्स डे स्पेशल, पिछले कुछ सालों में कैसा रहा है मरीजों के साथ रिश्ता

लखनऊ: कल एक जुलाई है। यह दिन धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर्स के लिए खास है। एक जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाया जाएगा।

पिछले साल से लेकर अबतक कोरोना काल में डॉक्टर्स ने जिस बहादुरी के साथ इस अदृश्य दुश्मन का सामना किया है, और अपने देश और समाज लिए सुरक्षा कवच बनकर खड़े रहे है। लेकिन आज डॉक्टर्स और मरीजों के बीच वह तालमेल नहीं रहा जो कभी हुआ करता था। आज डॉक्टर्स की मनमानी, तीमारदारों का बवाल मुख्य खबरें बनकर उभरती है।

आज पार्दशिता सवालों के घेरें में…

आज स्थितियां ज्यादा गंभीर हैं चिकित्सा क्षेत्र की प्रतिबद्धता और प्रमाणिकता एवं पादर्शिता आदि सवालों के घेरे में है। इसके लिए केवल मरीज ही जिम्मेदार नहीं है कहीं न कहीं चिकित्सकों की जिम्मेदारी भी कम नहीं है। चिकित्सकों में सामाजिक सरोकार की कमी, उनकी व्यावसायिक सोच के कारण आज रोगी चिकित्सक को केवल सेवाप्रदाता मानने लगा है।

डॉक्टर भी इंसान हैं…

आज के समय लोगों की डॉक्टर्स के प्रति यह धारणा है कि वह विशेष व्यक्ति है। हम यह नहीं सोचते की कि वह भी एक इंसान ही है। उनकी भी कुछ इंच्छाएं है। हमें मरीजों और डॉक्टरों के बीच संवाद स्थापित करने की आवश्यकता है।

कई अस्पताल मरीजों का शोषण करने से नहीं चूकते

मरीजों और डॉक्टर्स के बीच विश्वसनीयता के संकट के लिए कही न कहीं कुछ सीमा तक डॉक्टर्स भी जिम्मेदार हैं। पैसे कमाने के चक्कर में आज डॉक्टर्स समाज से दूर होते जा रहे है। इस बीच मरीजों का शोषण भी बढ़ा है। आज के समय अस्पताल मरीजों से पैसा कमाने के लिए कई तरह के हथकंड़े भी अपनाते है।

केवल एक पक्ष दोषी नहीं हो सकता 

निश्चित रूप से इस विश्वसनीयता के संकट के लिए केवल एक पक्ष जिम्मेदार नहीं है। कभी-कभी काम की अधिकता चिकित्सकों को चिड़-चिड़ा बना देती है और कभी-कभी वास्तव में मरीजों की अनजाने में उपेक्षा भी हो सकती है और ऐसे में यदि किसी रोगी की जान जाती है तो उसके परिजनों का गुस्सा होना स्वाभाविक है।

कोरोना काल में चिंकित्सकों ने अपनी जान जोखिम में डाल कर रोगियों की जान बचाने के लिए दिन रात मेहनत की है उनकी जितनी प्रशंसा की जाये वह कम है। डॉक्टर्स के इस विशेष दिन पर लोगों और समाज उनकी छवि वैसी ही रहे जैसी पहले रहा करती थी। डॉक्टर्स को व्यासाय के लिए नहीं जान बचाने के लिए जाना जाए।

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