उल्का पिंड को लेकर धीरे-धीरे लोगों के अंदर की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है। और इसका सबसे बड़ा कारण है आसमान में होती लगातार घटनाएं हैं। आपको जानकर हैरानी होगी की इस साल पूरे 17 हजार उल्का पिंड धरती पर गिरने वाले हैं।
इसका खुलासा एक वैज्ञानिक ने किया है। वो स्नोमोबाइल से अंटार्कटिका में घूम रहे थे तभी उन्हें उल्कापिंड का एक टुकड़ा पड़ा मिला।खुलासा करने वाले वैज्ञानिक जियोफ्री ईवाट इंग्लैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर में एप्लाइड मैथमेटेशियन हैं।
अंटार्कटिका की यात्रा का बाद वो और उनके साथी इस बात की खोज में लग गए कि हर साल धरती पर कितने उल्कापिंड गिरते हैं। सबसे ज्यादा उल्कापिंड कहां गिरते हैं।जियोफ्री बताते हैं कि अप्रैल 1988 से मार्च 2020 तक धरती पर कितने उल्कापिंड गिरे और उनकी जगहों का रिकॉर्ड है।
कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और नासा द्वारा बनाए गए इस नक्शे में बताया गया है कि धरती पर किस जगह सबसे ज्यादा उल्कापिंडों की बारिश हुई है।उल्का पिंड सबसे ज्यादा ग्रमियों के मौसम में गिरते हैं। इसलिए इन पर रिस्रच भी इसी मौसम में होती है।
जियोफ्री ईवाट कहते हैं कि अगर आपको सच में उल्कापिंडों के आते हुए आग के गोलों को देखना है तो आपको भूमध्य रेखा के आसपास के इलाकों में जाकर रात बितानी होगी।धरती के चारों तरफ होने वाली उल्कापिंडों की बारिश सबसे ज्यादा भूमध्य रेखा के नजदीक गिरते हैं।यहां इनके गिरने की तीव्रता और संख्या भी ज्यादा होती है. कई तो महासागरों में गिर जाते हैं इसलिए उनकी गणना करना मुश्किल होती है लेकिन दुनिया भर के दूरबीनों से उनकी तस्वीरें आ जाती हैं।
आपको बता दें उल्का पिंड का साइज और वजह अलग-अलग होता है। यही कारण है कि, जब कोई बड़े साइज का उल्काव पिंड धरकी के नजदीक आता है तो उसके धरती से टकराने के चान्स ज्यादा बढ़ जाते हैं। इसलिए वैज्ञैनिकों की तरफ से हर बार चेतावनी जारी करके लोगों को बताया जाता है कि, बड़ा उल्का पृथ्वी के टकराने के पृथ्वी पर तबाही मच सकती है।
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इस तबाही से पृथ्वी को बचाने के लिए वैज्ञानिक लगातार इन उल्का पिंडों पर नजर बनाएं रखते हैं। अगर आप भी खूबसूरत उल्का पिंडो की बरसता देखना चाहते हैं तो भूमध्य रेखा में जाकर देख सकते हैं।