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स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण, भारत की जीत का प्रतीक

ध्वजारोहण

74 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ध्वजारोहण किया गया। इसके लिए पहले ही गाइडलाइन जारी कर दी जाती है और उसका पालन अनिवार्य रूप से किया जाता है अन्यथा की स्थिति में दंड का प्रावधान है।

भारत का राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काते और बुने हुए ऊनी सूती, सिल्क या खादी से बना होना चाहिए। झंडे का आकार आयताकार होना चाहिए। झंडे की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 होना चाहिए। केसरिया रंग को नीचे की तरफ करके झंडा लहराया नहीं जा सकता। इसके साथ ही प्लास्टिक का झंडा प्रतिबंधित किया गया है। इसमें बीच में बने अशोक चक्र में 24 तिलिया पूरी होनी चाहिए।

सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच हो ध्वजारोहण

सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच में तिरंगा फहराया जा सकता है। झंडे को कभी भी जमीन पर नहीं रखा जा सकता। झंडे को कभी भी आधा झुकाकर नहीं फहराया जाता। सिवाय उन मौकों के जब सरकारी इमारतों पर झंडे को आधा झुकाकर फहराने के आदेश जारी किए गए हो। झंडे के सम्मान को लेकर किसी भी प्रकार की कोई चूक अपराध अपराध की श्रेणी में आती है। झंडा फहराने को लेकर जारी की गई गाइडलाइन को ही ध्यान में रखकर ध्वजारोहण किया जाना चाहिए।

झंडे को जलाने या नुकसान पहुंचाने के अलावा मौखिक और शाब्दिक तौर पर भी इसका अपमान करना गैर कानूनी होता है। इसके लिए 3 साल की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। इसके साथ ही झंडे पर कुछ बनाना या लिखना भी गैरकानूनी है यह भी अपराध की श्रेणी में आता है। किसी भी प्रकार से झंडे के अपमान को अपराध की श्रेणी में रखा गया है और इसके लिए जुर्माना व दंड भी तय किया गया है।

झंडे को मंच पर फहराते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि जब झंडा लगाया लगाया जाए और वक्ता का मुँह श्रोताओं की ओर हो तो झंडा उसके दाहिने और होना चाहिए।

तिरंगे को किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म या सजावट में प्रयोग में नहीं लाया जा सकता। अगर कोई शख्स कमर के नीचे तिरंगे को कपड़ा बनाकर पहनता हो तो यह भी अपमान है।

किसी भी प्रकार से कटे-फटे या रंग उड़े हुए भारत के ध्वज को नहीं फहराया जा सकता है यह भी गैरकानूनी माना जाता है। किसी भी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या उससे ऊपर या उसके बराबर नहीं लगाया जा सकता ऐसा करना भी गैरकानूनी माना जाता है और यह झंडे का अपमान होता है।

भारत की जीत का प्रतीक है ध्वजारोहण

15 अगस्त के दिन देश को आजादी मिली थी। इस दिन ब्रिटिश झंडे को उतारकर भारतीय ध्वज को ऊपर चढ़ाया जाता है और उसे फहराया गया था। यह भारतीय ध्वज की जीत को दर्शाता है। यह ब्रिटिश पर भारत की जीत का प्रतीक है। झंडे को नीचे से ऊपर ले जाकर फहराने की इस प्रक्रिया को ध्वजारोहण कहते हैं। इसलिए ही 15 अगस्त को ध्वजारोहण किया जाता है। वहीं 26 जनवरी को हमारा संविधान लागू हुआ था इसलिए उस दिन पहले से ऊपर बंधे झंडे को केवल फहराया जाता है।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का चयन

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को इसके वर्तमान स्वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था जो 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व की गई फ्लैग कोड ऑफ़ इंडिया 1968 भारतीय ध्वज संहिता नाम के एक कानून में तिरंगे को फहराने के नियम निर्धारित किए गए हैं। जिसके मुताबिक भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को फहराया जाता है। आपको बता दें कि तिरंगे को आंध्र प्रदेश के पिंगली वेंकैया ने बनाया था। प्रधानमंत्री हर वर्ष लाल किले से 15 अगस्त को तिरंगा फहराते है। केवल आज़ादी के दिन इससे 15 अगस्त को नहीं फहराया गया था आज़ादी के आज़ादी के साल 16 अगस्त 1947 को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था।

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