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उत्तराखंड में विभिन्न सरकारी विभागों के 14 कर्मचारियों को अब तक अनिवार्य रिटायरमेंट दिया गया

रिटायरमेंट उत्तराखंड में विभिन्न सरकारी विभागों के 14 कर्मचारियों को अब तक अनिवार्य रिटायरमेंट दिया गया

देहरादून। उत्तराखंड में विभिन्न सरकारी विभागों को 14 कर्मचारियों को अब तक अनिवार्य रिटायरमेंट दे दिया गया है। जबकि 398 कार्मिकों की एक अन्य लिस्ट स्क्रीनिंग के लिए तैयार हो गई है। 50 वर्ष से अधिक उम्र के इन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को अनफिट या काम में लापरवाही के आधार पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति के दायरे में रखा गया है।   राज्य में अक्षम अफसरों-कर्मियों को अनिवार्य रिटायरमेंट देने संबंधी कार्मिक विभाग के आदेश पर कई जिलों में अमल शुरू हो गया है। टिहरी जिले में अब तक सर्वाधिक छह कर्मियों को जबरन रिटायरमेंट दिया जा चुका है। ये सभी कर्मचारी राजस्व विभाग के हैं। रुद्रप्रयाग में एक संग्रह अमीन की सेवा इस नियम के तहत समाप्त की जा चुकी है। पौड़ी में भी जिला प्रशासन, राजस्व विभाग के तीन कर्मचारियों को रिटायर कर चुका है।

बता दें कि इस बीच विभागाध्यक्ष स्तर पर महिला बाल कल्याण विभाग ने एक साथ चार कर्मचारियों को सेवानिवृत्त करने पर मुहर लगाई। इस तरह प्रदेश में एक दर्जन से अधिक अफसर-कर्मियों को जबरन रिटायरमेंट दिया जा चुका है। इधर, विभिन्न स्तर पर सैकड़ों ऐसे अन्य कर्मचारी भी चुने जा चुका हैं। हालांकि इन पर अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। सिर्फ परिवहन निगम में ही ऐसे कर्मियों की संख्या 150 के करीब है। यूपीसीएल में भी पांच कर्मचारी चुने गए हैं।  

वहीं खास बात यह है कि राज्य के सबसे बड़े महकमे शिक्षा विभाग में एक भी शिक्षक और कर्मचारी इस दायरे में नहीं आया, जबकि ट्रांसफर के लिए सबसे ज्यादा बीमारी का बहाना शिक्षा विभाग में ही देखने को मिलता है। ऊर्जा निगम में ऐसे छह कर्मचारी जबकि उच्च शिक्षा में एक असिस्टेंट प्रोफेसर और महिला बाल विकास में एक अफसर इसके दायरे में आए हैं। हालांकि, अभी इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है। पुलिस, वन व स्वास्थ्य में भी अभी कोई अधिकारी-कर्मचारी चिह्नित नहीं हुआ है।

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