नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में ताजमहल पर किसके हक को लेकर सुनवाई की गई। दरअसल सुन्नी वक्फ बोर्ड ने ये दावा किया है कि शाहजहां ताजमहल को उनके नाम करके गए हैं इसलिए इसे हमें सौंप दिया जाना चाहिए। बोर्ड के इस बयान पर कोर्ट ने कहा है कि पहले जाकर कागजात लेकर आओ जिस पर शाहजहां ने हस्ताक्षर किए हों और उसमें लिखा हो की मैं(शाहजहां) अपनी इच्छा से ताजमहल को सुन्नी वक्फ बोर्ड को सौंपता हूं। बता दें कि बोर्ड भारतीय पुरातत्व विभाग से ताजमहल के स्वामित्व की लड़ाई लड़ रहा है।
आपको बता दें कि साल 2010 में भारतीय पुरातत्व विभाग ने वक्फ बोर्ड के 2005 के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि ताजमहल का पंजीकरण वक्फ संपत्ति के तौर पर होना चाहिए। इसके बाद वक्फ बोर्ड ने कोर्ट में दलील दी कि सुन्नियों के पक्ष में मुगल बादशाह शाजहां ने ही ताजमहल का वक्फनामा तैयार करवाया था। इस पर बेंच ने तुरंत कहा कि तो फिर जाकर शाहजहां द्वारा दस्तखत किए गए कागजातों को कोर्ट में पेश करो।
बोर्ड के आग्रह पर कोर्ट ने एक हफ्ते की मोहलत दी है। वहीं कोर्ट ने कहा कि मुगलकाल का अंत होने के बाद ताजमहल समेत अन्य ऐतिहासिक इमारतें अंग्रेजों को हस्तांतरित हो गई थी। आजादी के बाद से यह स्मारक सरकार के पास हैं और एएसआई इसकी देखभाल कर रहा है।मोहम्मद इरफान बेदार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल कर ताजमहल को उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति घोषित करने की मांग की थी लेकिन हाईकोर्ट में याचिकाकर्त्ता से कहा कि वो वक़्फ़ बोर्ड जाएं।
इसके बाद 1998 में मोहम्मद इरफान ने वक्फ बोर्ड के समक्ष याचिका दाखिल कर ताजमहल को बोर्ड की सम्पति घोषित करने की मांग की। ASI ने अपने जवाब में इसका विरोध किया और कहा कि ताजमहल उनकी सम्पत्ति है लेकिन बोर्ड ने ASI की दलीलों को दरकिनार करते हुए ताज़महल को बोर्ड की सम्पति घोषित कर दिया। एएसआई ने बोर्ड फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और याचिका दायर की। अब कोर्ट इस पर सुनवाई कर रहा है।