भारतीय मूल की सविता हलप्पनवार की मौत के छह साल बाद आयरलैंड में गर्भपात कानून को लेकर बड़ा बदलाव होने जा रहा है। देश में लोगों ने रूढ़िवादी कैथोलिक कानून में परिवर्तन के समर्थन में अपनी हामी दर्ज कराई है। प्रधानमंत्री लियो वराड़कर ने आयरलैंड के ऐतिहासिक जनमत संग्रह के परिणाम की घोषणा की। जिसके मुताबिकर 66 प्रतिशत से अधिक लोगों ने गर्भपात के खिलाफ संशोधन को निरस्त करने के समर्थ में मतदान किया है।
इस जनमत संग्रह परिणाम के बाद देश के 35 साल पुराने संविधान में एक भारतीय महिला की मौत के छह साल बाद बड़ा बदलाव होगा। पीएम ने कहा, ‘लोगों ने अपनी बात रखी है। लोगों का कहना है कि आधुनिक देश के लिए आधुनिक संविधान होना चाहिए।’ आयरलैंड में अब गर्भपात को कानूनी मान्यता मिल जाएगी। मालूम हो कि भारतीय मूल की गर्भवती महिला सविता हलप्पनवार की 2012 में इसलिए मौत हो गई थी क्योंकि वहां पर सख्त कैथोलिक कानून के चलते उन्हें गर्भपात की अनुमति नहीं मिली थी।
Thousands of people in Ireland voted in favour of legalising abortion in a Catholic-dominated republic on Friday
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— ANI Digital (@ani_digital) May 26, 2018
भारतीय मूल की 31 वर्षीय सविता हलप्पनवार को 2012 में गर्भावस्था के दौरान कुछ परेशानी के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालत बिगड़ने पर उन्होंने डॉक्टरों से गर्भपात का आग्रह किया, लेकिन डॉक्टरों ने कानून का पालन किया। बाद में सविता का सेप्सिस गर्भपात हुआ और एक सप्ताह बाद ही उनकी मौत हो गई। गर्भ गिरने के बाद डॉक्टरों को अहसास हुआ कि उनके खून में संक्रमण था और सेप्सिस बढ़ने के चलते दिल का दौरा पड़ा। उनके पति ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने यदि समय रहते गर्भपात कर दिया होता तो सविता की जान बच सकती थी।