केजीएमयू में शुरू हुई इंडोस्कोपी विधि से बोटाक्स इंजेक्शन देने की प्रक्रिया
लखनऊ। पानी पीने और रोटी खाने में समस्या हो। निगलने वक्त दर्द हो और ऐसा महसूस हो कि खाना बाहर निकल रहा है। एसिडिटी और वजन में लगातार गिरावट हो रही है तो चिकित्सक से सलाह लें। यह एक्लेसिया कार्डिया का लक्षण हो सकता है। यह जानकारी एसजीपीजीआई के गैस्ट्रोइंटोलॉजी विभाग के प्रो डा. यूसी घोषाल ने दी। वह केजीएमयू के मेडिसिन विभाग में आयोजित कार्यशाला के दौरान जानकारी दे रहे थे।
उन्होनें बताया कि यह बीमारी मरीज को कमजोर कर देती है। वजन गिरने के बाद अन्य अंग भी काम करना बंद कर देते हैं। यही वजह है कि कुछ समय बाद मरीज की मौत भी हो जाती है। हालांकि यह बीमारी करीब एक हजार में किसी एक में पाई जाती है, लेकिन समय से इलाज शुरू कर दिया जाए तो मरीज गंभीर स्थिति में पहुंचने से रोका जा सकता है। कार्यशाला में प्रोफेसर डा. यूसी घोषाल ने एक्लेसिया कार्डिया के मरीज में इंडोस्कोपी विधि से बोटॉक्स इंजेक्शन देने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी। एक्लेसिया कार्डिया के मरीजों में एसजीपीजीआई बोटॉक्स इंजेक्शन के जरिए इलाज कर रहा है। अब यह सुविधा केजीएमयू में भी हो जाएगी। प्रोफेसर घोषाल ने एक्लेसिया कार्डिया के मरीजों के इलाज की अन्य तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो वीरेंद्र आतम, डा. सुधीर कुमार पटवा, डा. सुधीर कुमार वर्मा, डा. मयंक, डा. दीपक, डा. शिव, नर्सिंग इंचार्ज नवनीत दुबे आदि मौजूद रहे। इस दौरान आनलाइन पूरी प्रक्रिया का प्रसारण कर करीब 50 से ज्यादा चिकित्सकों को तकनीकी के बारे में जानकारी दी गई।
मरीज को दिया गया बोटॉक्स इंजेक्शन
केजीएमयू की कार्यशाला केदौरान खाद्य पदार्र्थ निगलने में समस्या से पीड़ित 18 साल की युवती को इंडोस्कोपी से बोटॉक्स इंजेक्शन दिया गया। यह मरीज करीब छह साल पहले बीमारी की चपेट में आई थी। इसका वजन 45 किलो से घटकर 23 किलो हो गया था। बीएमआई 25 से 16 पर आ गया था। वह इतनी कमजोर थी कि सर्जरी नहीं की जा सकती थी। ऐसे में बोटॉक्स इंजेक्शन देकर उसे राहत दी गई है। करीब चार माह बाद उसकी स्थिति में सुधार हो जाएगा। फिर पोयम तकनीक से उसका इलाज किया जाएगा। केजीएमयू मेडिसिन विभाग के डा. अजय कुमार पटवा ने बताया कि बोटॉक्स का इंजेक्शन करीब 18 हजार में आता है। यह मरीज बेहद गरीब थी। ऐसे में उसे मुफ्त इंजेक्शन दिलाया गया है। जिन मरीजों की सर्जरी नहीं की जा सकती है, उनका बोटॅक्स इंजेक्शन से इलाज शुरू किया जाता है। यह हर छह माह में देना पड़ता है। जब मरीज की स्थिति सामान्य हो जाती है।