एजेंसी, नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने वायरलेस तरीके से संचालित बग आकार के रोबोट विकसित किए हैं, जो चलने में सक्षम हैं और कठोर वातावरण से बचते हैं। यह आकार में इतने छोटे हैं कि इनको एक साधारण हाइपोडर्मिक सुई के माध्यम से इंजेक्ट किया जा सकता है।
अमेरिका में कॉर्नेल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक मल्टीस्टेप नैनोफाइब्रिकेशन तकनीक बनाई, जो केवल चार हफ्तों में चार इंच के विशेष सिलिकॉन पदार्थ को एक लाख सूक्ष्म रोबोट में बदल देती है। अग्रणी शोधार्थी और नैनकोब्रिकेशन तकनीक को विकसित करने वाले मार्क मिस्किन ने बताया कि हम सेमीकंडक्टर उद्योग द्वारा विकसित तकनीक ले रहे हैं और छोटे रोबोट बनाने के लिए इसका उपयोग कर रहे हैं।
चिकित्सा के क्षेत्र में ला सकते हैं क्रांति : रोबोट के चार पैरों में से प्रत्येक प्लेटिनम और टाइटेनियम से बनता है। शोधकर्ताओं ने इसे बनाने के लिए रोबोट की सौर कोशिकाओं में से एक पर एक लेजर को चमकाया। यह पैर में प्लेटिनम का विस्तार करने का कारण बनता है, जबकि टाइटेनियम बदले में कठोर रहता है, जिससे अंग झुक जाते हैं।
इससे रोबोट को गति मिलती है। प्रत्येक रोबोट ऐसा शरीर धारण करता है, जो एक हजार गुना तक सूक्ष्म होता है। ये रोबोट मानव शरीर में आवश्यक दवा पहुंचाने या मस्तिष्क की मैपिंग में मदद करने में समक्ष है। इससे चिकित्सा क्षेत्र में क्रांति लाई जा सकेगी।