बेंगलुरु। साल 2017 में एक सनसनीखेज वारदात सामने आई जिसने सबकी नींद उड़ा दी। मशहूर कन्नड़ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश को राज राजेश्वरी नगर स्थित आवास पर अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी। गौरी लंकेश की अचानक से हुई हत्या से पूरा देश सकते में आ गया था। एक निर्भिक और बेबाक पत्रकार के मौत की पीछे वजह थी उसके स्वतंत्र विचारों की।
कैसे हुई थी हत्या-
अज्ञात हमलावरों ने लंकेश पर सात गोलियां दागीं. तीन गोलियां उनकी छाती और गले में लगीं।पड़ोसियों के मुताबिक 55 साल की गौरी लंकेश को मोटरसाइकल सवार 3 हमलावरों ने रात में 8 बजकर 25 मिनट पर गोली मार दी और वारदात के बाद फरार हो गए। हमले के वक्त गौरी अपने घर का मुख्य गेट खोल रही थीं। फायरिंग के दौरान उनके सिर, गर्दन और सीने पर 3 गोलियां लगीं, जबकि 4 गोलियों के दीवार पर निशान मिले।
क्या था हत्या का कारण-
गौरी वामपंथी विचारधारा से प्रभावित थीं और उन्हें हिंदुत्ववादी राजनीति का मुखर आलोचक माना जाता था। वह कर्नाटक की सिविल सोसायटी की फेमस चेहरा थीं।गौरी कन्नड़ पत्रकारिता में एक नए मानदंड स्थापित करने वाले पी. लंकेश की बड़ी बेटी थीं।लंकेश के दक्षिणपंथी संगठनों से वैचारिक मतभेद थे। वो बहुत पहले से लोगों के निशाने पर थीं। गौरी अखबारों में कॉलम भी लिखती थीं। टीवी न्यूज चैनल डिबेट्स में भी वो एक्टिविस्ट के तौर पर शामिल होती थीं।
सबसे दिलचस्प बात ये थी कि अपनी हत्या के कुछ समय पहले ही वो ट्विटर और फेसबुक पर एक्टिव थीं।गौरी ने रोहिंग्या मुस्लमानों से जुड़ी खबरों के लिंक शेयर किए थे। गौरी ने लिखा था कि हम लोगों में से कुछ लोग फेक पोस्ट शेयर करने की गलती कर देते हैं। चलिए एक्सपोज करने की कोशिश के बजाए इसके प्रति एक-दूसरे को सतर्क किया जाए। शांति बनाए रखिए साथियों। इसके बाद उनके कई ट्वीट आए और कुछ समय बाद ही उनकी हत्या कर दी गई। गौरी लंकेश का शव खून से सना हुआ पाया गया था।
उनकी हत्या ने पूरे देश में सनसनी मचा दी एक के बाद एक नेताओं के ट्वीट आए और सबने उनकी हत्या पर दूख जताया।कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गौरी लंकेश की हत्या पर दुख जताया। साथ ही उन्होंने लिखा कि सच को कभी खामोश नहीं किया जा सकता है। दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। वहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने दुख जताया। सिद्धारमैया ने ट्वीट कर बताया कि उन्होंने इस संबंध में डीजीपी से बात की है। सिद्धारमैया ने घटना की गहन जांच के आदेश दिए। सोशल मीडिया पर भी इस बात को लेकर लोगों का गुस्सा फूटा। उनके घर के बाहर विरोध प्रदर्शन हुए।
इस जांच में 21-सदस्यीय एसआईटी ने जो स्केच जारी किए थे, वे चश्मदीदों से मिली जानकारी तथा सीसीटीवी फुटेज के आधार पर तैयार किए गए।साथ में उनके आरोपियों की गिरफ्तारी के बारे में सूचना देने को उचित पुरुस्कार दिया जाएगा साथ ही उसकी जानकारी भी गुप्त रखी जाएगी।
ये मौत असल में गौरी लंकेश की नहीं बल्कि उनकी सोच की हत्या की साजिश थी। अभी उनके आरोपियों को पूरी तरह से पकड़डा नहीं गया है और केस अभी भी जारी है।हालांकि ये पहली घटना नहीं थी जब पत्रकारों के साथ ऐसी जघन्य घटना को अंजाम दिया गया।