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केसरिया रंग से रंगा गुजरात, अब 2019 की होगी तैयारी

kesarya केसरिया रंग से रंगा गुजरात, अब 2019 की होगी तैयारी

नई दिल्ली। आख़िरकार गुजरात रण भाजपा ने जीत ही लिया। पूरा गुजरात एक बार फिर केसरिया रंग में रंग गया। गुजरात का ये चुनाव 2019 के लिए भाजपा का रामबाण बन गया है। इस पूरे चुनाव में जहाँ विपक्षी भाजपा को भाजपा की तर्ज़ पर हराने के लिए जुटे थे। वहीं पर भाजपा ने विपक्ष को करारी मात देते हुए एक बार फिर गुजरात में ये साबित किया कि भाजपा का विकल्प और नरेन्द्र मोदी का विकल्प अभी फ़िलहाल विपक्ष को ढूँढना ही होगा।

kesarya केसरिया रंग से रंगा गुजरात, अब 2019 की होगी तैयारी

गुजरात के रण से होगी 2019 की शुरूआत
गुजरात के चुनावी समर ने एक बात साबित कर दी कि भाजपा का विकल्प और नरेंद्र मोदी का विकल्प फ़िलहाल विपक्ष के पास नहीं है। पूरे चुनाव में विपक्ष मुद्दों के बिना भाजपा से लड़ता रहा हालाँकि चुनाव की शुरूवात तो मुद्दों से हुई थी। जिसमें नोटबंदी को वोट बंदी और जीएसटी/GST को गब्बर सिंह टैक्स बताते हुए राहुल गांधी ने 22 सालों में गुजरात में हुए विकास को लेकर भाजपा ही नहीं नरेंद्र मोदी पर भी तंज कसा था। राहुल ने कहा था कि गुजरात में विकास ढूँढने आए हैं क्योंकि विकास पागल हो गया है। लेकिन शायद जनता ने नरेंद्र मोदी का साथ देकर और भाजपा को जीत देखकर ये साफ़ कर दिया की गुजरात में विकास पागल नहीं है बल्कि दौड़ा रहा है।

कांग्रेस को मात दे साफ किया 2019 का मैदान
भारतीय जनता पार्टी ने देश में कांग्रेस मुक्त भारत की जो कल्पना की है उस कल्पना में गुजरात का ये चुनाव मील का पत्थर साबित होगा। 2019 के लोक सभा चुनावी समर में जाने के पहले गुजरात का क़िला भाजपा को बचाना बहुत ही ज़रूरी था। भारतीय जनता पार्टी ने जहाँ एक तरफ़ विपक्ष को मात दी वहीं कांग्रेस को इस चुनाव में पीछे धकेलकर 2019 के लिए अपना मैदान भी साफ़ कर लिया है। इस पूरे चुनाव से एक बात निकल सामने आयी है की जनता का जनादेश आज भी भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी के साथ है। क्योंकि विपक्ष के पास भाजपा और मोदी के सामने खड़ा होने के लिए न ही कोई राजनीतिक दल बचा है और न ही कोई चेहरा है।

गुजरात की जीत से जनता के मिजाज किया बयान
गुजरात के चुनावी समर की जब शुरुआत हुई थी तो राहुल गांधी और उनके सहयोगी कह रहे थे कि गुजरात का चुनाव भाजपा के लिए बहुत बड़ा संघर्ष होगा। वहाँ पर 22 सालों से चली आ रही सत्ता को बचाना लेकिन जैसे जैसे चुनावी रंग गुजरात की फ़िज़ा में घुलता गया उसी के साथ एक बात साफ़ होती चली गई की जनता को नोटबंदी और जीएसटी/GST से कोई भी दिक़्क़त नहीं है। जनता ने राहुल गांधी के इन मुद्दों को एक बार फिर नकार दिया है जनता ने एक बात साफ़ कर दी है कि उसे दिक़्क़त इन मुद्दों से नहीं बल्कि भ्रष्टाचार से है इसके साथ ही जनता ने ये भी तय कर लिया कि जातीय राजनीति और मौक़ापरस्त राजनीति को वो नकारती ही रहेगी । जहाँ पूरे चुनाव में राहुल गांधी विकास को पागल क़रार देते हुए ढूँढने की बात कर रहे थे। वही जनता ने अपना जनादेश देकर ये तय कर दिया कि विकास जनता के बीच है।

 

विपक्ष को दी नई चुनौतियां                                                                                                                                                                              इस पूरे चुनाव से जहाँ भाजपा को जीत मिली वहीं कांग्रेस के साथ पूरे विपक्ष को कई सीख भी मिली है । विपक्ष के पास मौजूदा वक़्त में नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए न कोई चेहरा है न ही कोई ज़मीनी मुद्दे ख़ास तौर पर जनता अपने विकास के लिए तो जहाँ जागरूक है ही वहीं जनता भ्रष्टाचार को लेकर भी पूरी तरह से अपनी कमर कस चुकी है। गुजरात के चुनावी रण में एक बात साफ़ कर दी कि विपक्ष को अब जनता के बीच जाकर मुद्दे तलाशने होंगे अपने मुद्दों को जनता पर थोपना विपक्ष को बंद करना होगा। क्योंकि जनता आपके मुद्दों पर नहीं अपने मुद्दों पर वोट देने के लिए निकलती है जनता क्या चाहती है । इसके मिज़ाज को और उसके पक्ष को जनता के बीच जाकर समझना होगा। क्योंकि 2 के चुनावों के पहले गुजरात के इस चुनाव में कई बातें साफ़ कर दी है। विपक्ष के पास न ही कोई नेतृत्व है और न ही कोई मुद्दे जिनके ज़रिए वो 2019 का लोक सभा चुनाव भाजपा के ख़िलाफ़ लड़ सके।

Piyush Shukla केसरिया रंग से रंगा गुजरात, अब 2019 की होगी तैयारीअजस्रपीयूष

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