उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू ने कृषि क्षेत्र के प्रति सार्थक भाव बनाने और इसे सुदृढ़, सतत और लाभकारी बनाने के लिए नीतिगत कार्यक्रमों के माध्यम से ढांचागत परिवर्तन लागू करने की अपील की है। बता दें कि उपराष्ट्रपति ने ये बात उस दौरान की जब वह हैदराबाद में एग्री-विजन-2019 का उद्घाटन कर रहे थे।
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उपराष्ट्रपति ने स्मार्ट और सतत कृषि के लिए, कृषि समाधान विषय पर दो दिन के सम्मेलन को संबोधित किया। उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कृषि क्षेत्र की अनेक चुनौतियों के व्यापक और दीर्घकालिक समाधान के लिए सभी सेटेक होल्डर्स द्वारा गंभीर प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कृषि ऋण माफी जैसे थोड़े समय के उपायों से कुछ समय के लिए राहत तो मिलेगी लेकिन दीर्घकालिक रूप से किसानों को कोई लाभ नहीं मिलेगा।
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उपराष्ट्रपति ने कृषि क्षेत्र की चुनौतियों को गिनाते हुए कहा कि उत्पादकता में गिरावट, प्राकृतिक संसाधनों की कमी और अवमूल्यन, खाद्यान की तेजी से बढ़ती मांग, एक स्तर पर टिकी कृषि आय, छोटे भूखंड के और अप्रत्याशित जलवायु परिवर्तन भारतीय कृषि के समक्ष प्रमुख चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि पारंपरिक कृषि लाभकारी नहीं होगी और सतत आय सुनिश्चित करने के लिए किसानों को संबंधित गतिविधियों की ओर मुड़ना होगा।
समावेशी विकास के लिए कृषि क्षेत्र के विकास को महत्वपूर्ण बताते हुए नायडू ने कहा कि इस क्षेत्र को सशक्त बनाने से न केवल गरीबी में कमी आएगी बल्कि इस क्षेत्र से जुड़े लाखों लोगों की आजीविका सुधारने में भी सहायता मिलेगी। भारत के जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान 18 प्रतिशत है और यह क्षेत्र देश के कार्यबल के 50 प्रतिशत को रोजगार प्रदान करता है।
किसान अनुकूल बाजार, पर्याप्त कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं, रेफ्रिजरेटर वैन, मूल्यवर्धन के माध्यम से खाद्य प्रसंस्करण पर फोकस, किसानों को समय पर रियायती ऋण और किसानों तक नवाचारों और टेक्नॉलोजी की पहुंच सुनिश्चित करके कृषि को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की जरूरत है।