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कांग्रेस के दिग्गज नेता ने प्रणब मुखर्जी को लिखा खत, ‘RSS कार्यक्रम में ना जाने की लगाई गुहार’

pranab mukherjee

देश के पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के दिग्गज वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी अगले महीने नागपुर में अंतिम वर्ष के स्वंयसेवकों के लिए होने वाले विदाई समारोह को संबोधित कर सकते हैं। इस खबर से राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ गई है। अभी तक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए प्रजीडेंट सोनिया गांधी ने तो अभी तक इस खबर को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन धीरे-धीरे पार्टी के अन्य नेताओं ने जरूर अपनी राय देना शुरू कर दिया है। हाल ही में कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित के बाद एक और एक कांग्रेस नेता ने अपनी चुप्पी तोड़ी है।

 

pranab mukherjee

 

पूर्व रेल मंत्री सीके जाफर शरीफ ने मुखर्जी को पत्र लिख उनसे कार्यक्रम में शामिल नहीं होने का आग्रह किया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक शरीफ ने अपने पत्र में लिखा है कि वह मुखर्जी के इस फैसले से स्तब्ध हैं। उन्होंने कहा कि वह RSS के कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति के शामिल होने के फैसले से अन्य धर्मनिरपेक्ष नेताओं की तरह वह भी हतप्रभ हैं।

 

संघ का आमंत्रण स्वीकारने पर कांग्रेस नेता का तीखा हमला, ‘आरएसएस का आत्मसम्मान मर गया या प्रणव मुखर्जी बदल गए हैं?’

 

पूर्व केंद्रीय मंत्री जाफर शरीफ ने अपने पत्र में लिखा है, ‘मुझे निजी तौर पर लगता है कि आप जैसा एक धर्मनिरपेक्ष शख्स जो दशकों तक सक्रिय राजनीति में रहा और देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचा उसका लोकसभा चुनाव से पहले संघ परिवार के मुख्यालय में जाना सही नहीं होगा।’ शरीफ के पत्र पर पूर्व सांसद एच हनुमनथप्पा का भी हस्ताक्षर है।

 

कांग्रेस नेता ने पत्र में आगे लिखा है, ‘धर्मनिरपेक्ष लोगों के अलावा कांग्रेस को लोग भी इससे दुखी हैं। उन्हें उम्मीद है कि आप अपने फैसले की समीक्षा करेंगे। मैं भी आपसे आग्रह करता हूं कि आप अपने फैसले पर पुर्नविचार करें और धर्मनिरपेक्षता और देश के हित में संघ परिवार के मुख्यालय में जाने से परहेज करें।’ हालांकि कांग्रेस ने मुखर्जी के RSS मुख्यालय जाने के लिए हामी भरने की खबर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

 

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कांग्रेस के प्रवक्ता टॉम वडक्कन से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उन्होंने कहा कि अभी कार्यक्रम का आयोजन ही नहीं हुआ है तो वह इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे। उन्होंने कहा, ‘अभी कार्यक्रम नहीं हुआ है। मुझे भी इस बारे में मीडिया से ही जानकारी मिली है और मैं अन्य सूचनाएं इकट्ठा कर रहा हूं। कार्यक्रम होने तक मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं दूंगा।’

 

इससे पहले कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा था कि प्रणव मुखर्जी ने खुद हिंसा में आरएसएस की भूमिका को लेकर बात कही थी और अब वे इस कार्यक्रम में जा रहे हैं, जो कि काफी आश्चर्यजनक है। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि संघ के खिलाफ कड़े शब्दों का इस्तेमाल करने वाले प्रणव मुखर्जी को अगर आरएसएस अपने कार्यक्रम में आमंत्रित कर रहा है तो हो सकता है कि संघ का आत्मसम्मान मर गया है या फिर प्रणव मुखर्जी ही बदल गए हैं।

 

 

उन्होंने कहा, ‘सांप्रदायिकता में, हिंसा में, घटियापन में आरएसएस की भूमिका को लेकर जो बातें प्रणव मुखर्जी ने कही थी, मुझे पूरा विश्वास है कि संघ को इस बारे में पता होगा। मुखर्जी के हिसाब से आरएसएस से ज्यादा गंदा, घटिया, झूठाष फरेबी, राष्ट्र विरोधी कोई संस्था नहीं है… ये शब्द खुद दादा ने हमसे कहे थे। …तो ऐसे व्यक्ति को जो आरएसएस को जहरीले-गंदे सांप से भी बुरी संस्था मानते हैं और जिनका कहना था कि इस संस्था को इस देश में एक मिनट भी नहीं रहना चाहिए, उस व्यक्ति को अगर आरएसएस बुला रहा है तो क्यों बुला रहा है… क्या प्रणव मुखर्जी साहब ने अपने विचार बदल दिए हैं या आरएसएस में ही कोई स्वाभिमान नहीं बचा है।’

 

 

 

वहीं बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार मुखर्जी का बचाव करते हुए कहा कि आरएसएस कोई पाकिस्तान का आईएसआई नहीं है। यह राष्ट्रवादियों का संगठन है। गडकरी ने कहा, ‘‘आरएसएस पाकिस्तान का आईएसआई नहीं है। आरएसएस राष्ट्रवादियों का संगठन है।’’

 

उल्लेखनीय है कि संघ अपने स्वंयसेवकों को पूर्णकालिक प्रचारक ट्रेनिंग के लिए तीन साल का एक वर्ग रखता है। जिसे अब संघ शिक्षा वर्ग के नाम से जाना जाता है। इस वर्ग में तीन साल के बाद स्वंयसेवक, संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बन जाते हैं।

 

गौरतलब है कि 82 वर्षिय प्रणब मुखर्जी कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे हैं। वह 1969 से कांग्रेस से जुड़े हैं। मुखर्जी इंदिरा गंधी के विश्वसनीय नेताओं में से एक थे। वे 1982-84 के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री बने। वह कांग्रेस के हमेशा संकटमोचक रहे है। मुखर्जी 2012 से लेकर 2017 तक देश के 13वें राष्ट्रपति रहे।

 

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