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इंजीनियर से करोड़ो की कंपनी के मालिक बनने का सफ़र

vinod kumar gupta इंजीनियर से करोड़ो की कंपनी के मालिक बनने का सफ़र

आज हम एक ऐसे इंजिनीयर की बात करेंगे जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से कामयाबी की बुलंदियों को छुआ है। नोएडा में रहने वाले इंडस्ट्रियलिस्ट विनोद कुमार गुप्ता बताते हैं कि एक नौकरी पेशा से करोड़ों की कंपनी के मालिक का सफर काफी मुश्किलों भरा रहा है। मगर आज उनको अपनी कामयाबी पर गर्व है।

विनोद कुमार गुप्ता का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था। इनके पिता आर.डी. गुप्ता और रमा गुप्ता सरकारी विद्यालय में प्रिंसिपल थे। विनोद गुप्ता बचपन से ही मेधावी छात्र थे। दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी से मेकेनिकल इंजीनियर ब्रांच में डिप्लोमा हासिल किया। जिसमें वो टॉप रहे। उन्हें छात्र राजनीति का भी काफी शौक था। कॉलेज के दिनों में उन्होंने स्टूडेंट यूनियन का नेतृत्व किया था।

डिप्लोमा के बाद उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 21 साल की उम्र में ही कर दी थी। उन्होंने पहली नौकरी पानीपत में स्टील की पाइप बनाने वाली कंपनी में की थी। उनके बाद उन्होंने गैस प्लांट की कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर ज्वाइन किया। इसी दौरान वी.के गुप्ता ने ‘कॉपर डी ऑक्साइड टेक्नोलॉजी’ सामने लाई जिससे गैस से नमी हटाने में सफलता मिली। वीके गुप्ता ने बताया कि ये पूर्ण रुप से उनका अपना डिजाइन था लेकिन वो इस टेक्नोलॉजी को पेटेंट नहीं करवा पाए।

साल 1996 में वी.के गुप्ता ने अपने दोस्त ए.के.त्यागी के साथ मिलकर अपनी खुद की कंपनी खोली जिसका नाम ‘नूबर्ग इंजिनियरिंग लिमिटेड’ रखा। इसके बाद उन्होंने पीएसए टेक्नोलॉजी के महारथी जर्मन कंपनी कारबोटेक जीएमबीएच के साथ हाथ मिलाया।

बता दें कि ‘नूबर्ग’ कंपनी की शुरुआत नोएडा सेक्टर-10 से हुई थी जिसमें मात्र 12 कर्मचारी थे। शुरु में यह कंपनी छोटे स्तर पर निर्माण की सुविधा प्रदान करती थी। जो बाद में चलकर काफी ऊंचे स्थान पर पहुंची।

‘नूबर्ग’ भारत की अग्रिणी गैस प्लांट और कैमिकल निर्माता कंपनी है। जो नाइट्रोजन गैस प्रोडक्शन और गैस प्यूरिफिकेशन के लिए पीएसए टेक्नोलॉजी प्रदान करती है। आज इसका कॉरपोरेट ऑफिस नोएडा सेक्टर-64 में है। यहां करीब 300 कर्मचारी काम करते हैं। इसके अलाव नूबर्ग की 2 अन्य यूनिट भी है। एक नोएडा फेज़-2 में स्थित है जब्कि दूसरी गुजरात के जघडीया में करीब 1.2 लाख वर्ग मीटर में फैली है।
‘नूबर्ग’ में 3 मुख्य डिविजन्स हैं जिसमें गैस प्लांट, ईपीसी/ट्रंकी प्रोजेक्ट और हेवी फैबरिकेशन शामिल है। सभी कार्यों के लिए समर्पित टीम टीम बनाई गई है। हांलाकि इस प्रकार यह तीन बिजनेस यूनिट के तौर पर काम करती है। मगर इनकी पैरेंट कंपनी ‘नूबर्ग’ ही है

शुरुआती 3 साल में इस कंपनी का वार्षिक टर्नओवर कुछ लाख ही था लेकिन आज इसका लक्ष्य करीब 400 करोड़ को पार करने का है।वी.के गुप्ता ने अपने पार्टनर ए.के त्यागी के साथ अपने बिजनेस को 32 से भी ज्यादा देशों में फैलाया है। कंपनी का इरादा इसको और आगे ले जाने का है।
वीके गुप्ता के मुताबिक टाटा स्टील, भूषण स्टील, डॉक्टर रेड्डीज़, फ्रिटो ले, पेप्सी को.,राष्ट्रीय कैमिकल्स एंड फर्टिलाइज़र्स, लिंडे एजी, ग्लेक्सो इंडिया लिमिटेड, निकोलस पिरामल फर्मासिटिकल्स लिमिटेड, नेसले इंडिया लिमिटेड उनके क्लाइंट हैं।

वी.के.गुप्ता का पारिवारिक जीवन

वी.के.गुप्ता का बचपन पुरानी दिल्ली के सदर बाजार में गुज़रा। परिवार में उनके अलावा 2 भाई और 1 बहन थी। वीके गुप्ता परिवार के सबसे छोटे सदस्य थे। उनकी पिता आर.डी. गुप्ता ने सभी बच्चों की शिक्षा पर पूरा ध्यान दिया। उनके बड़ी बहन पेशे से डॉक्टर हैं और उनके बड़े भाई ने एल.एल.बी. डिग्री हासिल की है।

विनोद कुमार गुप्ता को साल 1985 में सुगंधा गुप्ता के रुप में जीवनसाथी का साथ मिला जो आगरा में रहती थीं। उनके जीवन में संतान सुख 1986 में हासिल हुआ जब उनके बेटे सिद्धार्थ का जन्म हुआ। करीब 10 साल बाद यामिनी के रुप में उनकी पुत्री का जन्म हुआ। बेटे सिद्धार्थ की शादी 2015 में प्रिया अग्रवाल से हुई।

वी.के. गुप्ता अपने काम और पारिवारिक जीवन में संतुलन बनाए रखते हैं। फिलहाल वो नोएडा के सेक्टर-39 स्थित आवास में रहते हैं। उनके जीवन में उनकी पत्नी सुगंधा का पूरा सहयोग मिलता है।

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