नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में विकासशील देशों की अंशधारिता बढ़ाने की मांग करते हुए केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि इससे वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में विकासशील देशों के हिस्से को बढ़ाने में काफी सहायता मिलेगी।
अमेरिका की तीन दिवसीय यात्रा के अंतिम दिन जी-20 के वित्त मंत्रियों एवं केंद्रीय बैंक गवर्नरों की बैठक को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के नये कोटा प्रणाली में विकासशील देशों को प्राथमिकता देनी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में अंशधारिता समीक्षा के लिए अक्टूबर 2017 की सहमति प्राप्त समय-सीमा का स्वागत करते हुए जेटली ने कहा कि नये कोटा फार्मूले को विकासशील देशों की आवाज, भूमिका एवं मतदान हिस्से को बढ़ाने में योगदान देना चाहिए एवं वैश्विक सकल घरेलू उत्पादन में उनके बढ़े हुए हिस्से को प्रदर्शित करना चाहिए। इसी के तर्ज पर वैश्विक अर्थव्यवस्था में विकासशील देशों के हिस्से को प्रदर्शित करने के लिए विश्व बैंक की अंशधारिता की समीक्षा पर भी जोर देना चाहिए।
कर छूट प्राप्त देशों के खिलाफ मजबूत कदम उठाने की जरूरत पर जोर देते हुए जेटली ने कहा कि विकासशील देशों में भ्रष्टाचार, करवंचना, आतंकवाद वित्त पोषण एवं कालेधन काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है, इसके लिए जी-20 समूह को आगे आना चाहिए। इसके साथ ही जेटली ने निर्धन देशों में बुनियादी ढांचे के निवेश में बढ़ोतरी सुनिश्चित करने के लिए बहुस्तरीय विकास बैंकों की बैलेंशीटों एवं साख निर्धारण का लाभ उठाने की जरूरत भी दोहराई। अपने अमेरिका प्रवास के दौरान जेटली ने विश्व बैंक के समूह अध्यक्ष जिम यंग किम से द्विपक्षीय मुलाकात की। मुलाकात के दौरान जेटली ने विश्व बैंक समूह के वार्षिक वित्त पोषण की मात्रा को सालाना 100 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने के लिए भी अपील की।