कोविड-19 कोरोना वायरस पूरी दुनिया में तबाही मचा रहा है। ऐसे में भारत में भी लगातार कोरोना के मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 30 हजार को पार कर चुका है।
इस बीच रमजान भी शुरू हो चुके हैं। मुस्लिम समुदाय में कुछ समय से एक भ्रम था कि, कोरोना ट्सेट कराने से रोजा टूट जाता है। जिस पर खुलकर बात करते हुए इस्लामी तालीम के मरकज दारुल उलूम देवबंद ने एक बेहद अहम फतवा दिया है। इसमें मुफतियों की खंड पीठ ने कहा है कि रोजे की हालत में भी कोरोना टेस्ट कराने के लिए नाक या मूंह से सेंपल देना जायज है। इससे रोजे पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
फतवे में कहा गया है कि, कोरोना टेस्ट के लिए नाक या हलक में जो रुई लगी स्टिक डाली जाती है उस पर किसी तरह की कोई दवा या केमिकल लगा हुआ नहीं होता है और यह स्टिक नाक व मूंह में सिर्फ एक बार ही डाली जाती है। रूई पर नाक व हलक से जो गीला अंश लगता है उसे मशीन के जरीए चेक किया जाता है। लिहाजा रोजे की हालत में कोरोना वायरस टेस्ट के लिए नाक या हलक की का सेंपल देना जायज है, इससे रोजे पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
तंजीम अब्ना ए दारुल उलूम के अध्यक्ष मुफ्ती यादे इलाही कासमी ने फतवे पर रोशनी डालते हुए कहा कि वर्तमान हालात के मद्देनजर यह दारुल उलूम का बेहद अहम फतवा है। रोजे की हालत में कोरोना टेस्ट कराते हुए अकीदतमंदों को यह बात परेशान कर रही थी कि कहीं इससे उनका रोजा तो नहीं टूट जाएगा। दारुल उलूम का यह फतवा आने के बाद अब वह बेफिक्र होकर रोजे की हालत में भी कोरोना टेस्ट करा सकेंगे।
https://www.bharatkhabar.com/jk-administration-orders-probe-into-growing-cases-of-stealing-and-selling-liquor-during-lockdown/
दारुल उलूम के इस फतवे से काफी लोगों के मन में चल रहे सवालों का जवाब मिला है। इसके साथ ही रोजेदारों के बीच जो भ्रांति फैली हुई थी वो फतवे के आते ही खत्म हो गई है।
देवबन्द ,उत्तर प्रदेश से तस्लीम देवबंदी की रिपोर्ट