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मैनपुरीः छात्रों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़, महीने में महज 3 से 4 दिन स्कूल आती है प्रधानाध्यापिका

मैनपुरीः छात्रों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़, महीने में महज 3 से 4 दिन स्कूल आती है प्रधानाध्यापिका

मैनपुरीः पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया को लेकर केंद्र व प्रदेश सरकार शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए तरह-तरह की योजनाओं का ला रही है। इन योजनाओं को करोड़ों रुपया खर्च कर संचालित किया जाता है। ताकि नौनिहाल बच्चों का स्कूल मे दाखिला करा कर देश को सौ प्रतिशत साक्षर बनाने का सपना पूरा हो सके।लेकिन इसके उलट सरकार के इस प्रयास को पलीता लगाने में मोटी तनख्वाह लेने वाले अध्यापक कोई कोर कसर नही छोड़ रहे हैं।

 

मैनपुरीः छात्रों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़, महीने में महज 3 से 4 दिन स्कूल आती है प्रधानाध्यापिका
मैनपुरीः छात्रों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़, महीने में महज 3 से 4 दिन स्कूल आती है प्रधानाध्यापिका

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ऐसा ही एक वाकया सामने आया है जिसमें शिक्षिकाएं सरकार के मंसूबों को बलाए ताक पर रख सारी योजनाओं को फेल करती हुई नजर आ रही हैं। जो अपने मनमाने तरीके से विद्यालय नहीं जाती हैं, और तो और अपने मध्य अधिकारी से सांठगांठ कर मुफ्त का वेतन लेकर घर के अन्य कार्य में व्यस्त रहते हैं।

यह मामला उत्तर प्रदेश के जनपद मैनपुरी के विकास खंड सुल्तानगंज में देखने को मिला है। जहां छात्रों ने आरोप लगाया है कि इनके विद्यालय की प्रधानाध्यापिका महीने में मात्र 3 या 4 दिन ही आती है और बाकी विद्यालय की देखरेख शिक्षामित्रों के ऊपर चल रही है। आइए हम आपको ले चल रहे हैं ऐसे ही एक विद्यालय में जहां स्कूल समय से नहीं खुलता है। इसके अलावा वहां पर प्रधानाध्यापिका स्कूल में न जाकर अपने घरेलू का कामकाज में व्यस्त रहती हैं। हम बात करते हैं सुल्तानगंज क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय महार माई की।

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गौरतलब है कि जनपद मैनपुरी से 23 किलोमीटर दूरी पर स्थित विकास खंड सुल्तानगंज के ग्राम महार मई मैं बने प्राथमिक विद्यालय पर शिक्षा का स्तर मात्र शिक्षामित्रों पर टिका हुआ है। बात दरअसल यह है कि यहां पर तैनात प्रधानाध्यापिका अर्चना सिंह ग्राम सुन्ना मई की रहने वाली है। जो विद्यालय से मात्र 3 किलोमीटर दूरी पर है लेकिन अपनी आराम सुविधाओं के चलते मैनपुरी शहर में रह रही है। जो महीने में मात्र 3 या 4 दिन ही विद्यालय आती है और पूरे महीने की उपस्थिति दर्ज कर वेतन ले रही हैं। अब सवाल यह उठता है कि उक्त शिक्षिका 40 से लेकर 55000 हजार तक का वेतन लेकर अपने दायित्व का निर्वाह क्यों नहीं कर रही है? आखिर क्यों नौनिहाल बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है।

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सूचना पर जन मीडिया कर्मी ने विद्यालय का जायजा लिया तो वहां पर उपस्थित छात्र छात्राएं समय 10 बजकर 30 मनट के लगभग विद्यालय प्रांगण में शोर मचाते हुए खेल रहे थे। वहां पर कोई शिक्षक व शिक्षामित्र मौजूद नहीं था। जब विद्यालय के छात्रों से शिक्षकों के बारे में जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि हमारी हेड अध्यापिका अर्चना सिंह महीने में तीन चार ही आती हैं।रजिस्टर पर पूरे महीने की उपस्थिति भर देती हैं वही मीडिया कर्मी की सूचना पर आनन-फानन में पहुंची शिक्षामित्र मीरा देवी ने बताया के विद्यालय राम भरोसे चल रहा है। वह तो प्रतिदिन आती है बाकी स्कूल के बच्चों से पूछ लो तो बच्चों ने एक और शिक्षा मित्र विनोद कुमार को भी विद्यालय में ना आने की बात कही।

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इस संबंध में संवाददाता ने जब ग्रामीणों से पूछताछ की तो उनका भी यही जवाब निकला कि यहां तो बच्चे केवल ऊधम मचाते हैं। पढ़ाई लिखाई तो नाममात्र की भी नहीं है। केवल शिक्षामित्रों के सहारे ही विद्यालय चल रहा है।आपको बता दें कि जो शिक्षक शिक्षिका विद्यालय नहीं जाती है उनके अपने से ऊपर अधिकारियों से सांठगांठ रहती है। जो उन्हें हर आने वाली जांच मैं साफ-साफ निकाल देते हैं और उन पर कोई भी कार्यवाही नहीं की जाती है। वहीं इस संबंध में जब बेसिक शिक्षा अधिकारी विजय प्रताप से बात की तो उन्होंने उक्त अध्यापिका की जांच कर कार्रवाई करने की बात कही है।

महेश कुमार यादव

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