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जानें, लोहड़ी पर्व को सूर्य के उत्तरायण होने का पहला विराट यज्ञ क्यों कहा जाता है

लहड़ी... जानें, लोहड़ी पर्व को सूर्य के उत्तरायण होने का पहला विराट यज्ञ क्यों कहा जाता है

साल 2019 में मकर संक्रांति का त्यौहार 15 जनवरी को है। इससे एक दिन पहले लोहड़ी का त्यौहार मनाते हैं। लोहड़ी का त्योहार खास तौर से पंजाब, हरियाणा व हिमाचल में मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर नई फसल के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। पंजाब में नववधू और बच्चे की पहली लोहड़ी बहुत विशेष होती है। लोहड़ी की रात खुले स्थान में पवित्र अग्नि जलाते हैं। परिवार व आस-पड़ोस के लोग लोकगीत गाते हुए नए धान के लावे के साथ खील, मक्का, गुड़, रेवड़ी, मूंगफली आदि उस पवित्र अग्नि को अर्पित कर परिक्रमा करते हैं।

 

लहड़ी... जानें, लोहड़ी पर्व को सूर्य के उत्तरायण होने का पहला विराट यज्ञ क्यों कहा जाता है

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आपको बता दें कि लोहड़ी एवं मकर संक्रांति एक-दूसरे से जुड़े हुए त्यौहार में हैं। ये दौनों सांस्कृतिक उत्सव और धार्मिक पर्व का एक अद्भुत त्योहार हैं। लोहड़ी के दिन जहां शाम के वक्त लकड़ियों की ढेरी पर विशेष पूजा के साथ लोहड़ी जलाई जाएगी, वहीं अगले दिन प्रात: मकर संक्रांति का स्नान करने के बाद उस आग से हाथ सेंकते हुए लोग अपने घर जाते हैं। इस प्रकार लोहड़ी पर जलाई जाने वाली आग सूर्य के उत्तरायन होने के दिन का पहला विराट एवं सार्वजनिक यज्ञ कहलाता है।

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मालूम हो कि लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था। यह शब्द तिल और रोड़ी (गुड़ की रोड़ी) से मिलकर बना है। जो समय के साथ बदल कर लोहड़ी के रूप में प्रसिद्ध हो गया। मकर संक्रांति के दिन भी तिल-गुड़ खाने और बांटने का रिवाज है। पंजाब के कई इलाकों मे इसे लोही या लोई भी कहा जाता है।

लोहड़ी मुख्य रूप से पंजाब का पर्व है। लोहड़ी शब्द इस त्यौहार में पूजा में प्रयोग होने वाली वस्तुओं से मिलकर बना है। मान्यता के के मुताबिक सती के त्याग के रूप में यह त्योहार मनाया जाता है। माना जाता है कि प्रजापति दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर शिव की पत्नीं सती ने आत्मदाह कर लिया था। उसी दिन की याद में यह पर्व मनाया जाता है।

इसके पीछे दूसरी धारणा भी है। जिसके अनुसार कहा जाता है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में यह पर्व मनाया जाता है। ऐसी ही कई मान्यताएं हैं, कहा जाता है कि सुंदरी एवं मुंदरी नाम की लड़कियों को राजा से बचाकर एक दुल्ला भट्टी नामक डाकू ने किसी अच्छे लड़कों से उनकी शा‍दी करवायी थी।

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कब होता है लोहड़ी का त्यौहा..?

बता दें कि साल भार कई त्यौहार सभी ऋतुओं पतझड, सावन और बसंत में कई तरह के छोटे-बड़े त्योहार मनाए जाते हैं, जिन में से एक प्रमुख त्योहार लोहड़ी है जो बसंत के आगमन के साथ 13 जनवरी, पूष महीने की आखरी रात को मनाया जाता है। इसके अगले दिन माघ महीने की संक्रांति को माघी के रूप में मनाया जाता है।
लोहड़ी का त्यौहार वैसाखी त्योहार की तरह पंजाब के गांव, फसल और मौसम से संबंधित है। इस दिन से मूली और गन्ने की फसल बोई जाती है। इससे पहले रबी की फसल काटकर घर में लाई जाती है।

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