नई दिल्ली। भारतीय पहलवान नरसिंह पंचम यादव के रियो ओलम्पिक में हिस्सा लेने पर मंगलवार को संदेह के नए बादल छा गए। विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) ने नरसिंह को मिली क्लीन चिट के खिलाफ मंगलवार को खेल पंचाट न्यायालय (सीएएस) में अपील दायर की। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष ब्रिजभूषण शरण सिंह ने आईएएनएस को बताया, “जी हां, वाडा ने नरसिंह को रियो में हिस्सा लेने के लिए मिली मंजूरी के खिलाफ सीएएस में अपील की है। सीएएस मामले पर 18 अगस्त को सुनवाई करेगा।”
भारत की ओर से पदक के बड़े दावेदार नरसिंह का रियो ओलम्पिक में पहला मुकाबला 19 अगस्त को होना है, यानी उनके मामले पर सुनवाई उससे ठीक एक दिन पहले होनी है। ब्रिजभूषण ने कहा, “हमारे वकील ने वाडा के पत्र को पढ़ लिया है। हम उनके सामने नरसिंह का बचाव मजबूती के साथ करेंगे। उनके निर्दोष साबित होने की काफी संभवना है।”
बीते वर्ष विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतकर नरसिंह ने ओलम्पिक के लिए क्वालिफाई किया था। हालांकि रियो ओलम्पिक शुरू होने से ठीक पहले 25 जून को भारत की राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) की जांच में वह प्रतिबंधित पदार्थ के सेवन के दोषी पाए गए थे और उन पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया गया था। नाडा ने एक अगस्त को उन्हें यह कहकर प्रतिबंध मुक्त कर दिया था कि वह साजिश का शिकार हुए थे।
डब्ल्यूएफआई ने ओलम्पिक खेलों में कुश्ती की देखरेख करने वाली संस्था युनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू)को एक अगस्त को ही बता दिया था कि नाडा ने नरसिंह को डोपिंग के सभी आरोपों से मुक्त कर दिया है और उन्हें 74 किलोग्राम भारवर्ग में दोबारा शामिल किया जा सकता है। यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने तीन अगस्त को नरसिंह को ओलम्पिक खेलों में हिस्सा लेने की इजाजत दे दी थी। नरसिंह की राह में अंतिम रोड़ा वाडा है। वाडा ने ही सीएएस में नाडा के फैसले के खिलाफ अपील की है। सीएएस के फैसले पर ही नरसिंह के ओलम्पिक में हिस्सा लेने का दारोमदार है।
इससे पहले नरसिंह को रियो जाने के लिए अपने साथी और दो बार के ओलम्पिक पदक विजेता सुशील कुमार से कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी थी। डब्ल्यूएफआई ने सुशील के ऊपर नरसिंह को तरजीह दी थी जिसके बाद यह मामला अदालत तक पहुंच गया था। सुशील चोट के कारण ओलम्पिक क्वालीफिकेशन राउंड में हिस्सा नहीं ले पाए थे और नरसिंह ने भारत को ओलम्पिक कोटा दिला दिया था। डब्ल्यूएफआई से लगातार ट्रायल की गुहार लगाने के बाद सुशील ने अदालत का सहारा लिया था। लेकिन, दिल्ली उच्च न्यायालय ने छह जून को सुशील की अपील खारिज कर नरसिंह की राह साफ कर दी थी।