भोपाल। देश में इन दिनों ‘तीन तलाक’ को लेकर जिरह छिड़ी हुई है। मुस्लिम पुरुषों पर आरोप भी लगते रहे हैं कि वे तीन तलाक के नाम पर महिलाओं पर अत्याचार करते हैं, मगर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की मसाजिद कमेटी में आई अर्जियां हैरान करने वाली हैं। यहां पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने तलाक (खुला) के लिए अर्जी दी है। भोपाल की मसाजिद कमेटी के अधीन परिवार परामर्श केंद्र काम करता है। कमेटी के प्रभारी यासिर अराफात ने मंगलवार को संवाददाताओं को बताया कि बीते पांच वर्षो में 25 हजार निकाह हुए हैं। वहीं, इस दौरान तलाक के लिए 1650 आवेदन आए, जिनमें से अधिकांश आवेदन महिलाओं की ओर से दिए गए।
उन्होंने आगे बताया कि यह केंद्र तलाक का फैसला नहीं लेता, मगर दोनों पक्षों के उन तक आने पर उनकी बात सुनता है, उन्हें समझाता है, उसके बाद भी दोनों साथ रहने को राजी नहीं होते तो उन्हें ऐसा करने की सहमति दे दी जाती है।
शहर काजी मुश्ताक अली नदबी का कहना है कि उनके पास आने वाले दंपति में अधिकांश अपने अधिकार तो जानना चाहते हैं, मगर कर्तव्यों को पूरा करने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेते। उनकी कोशिश होती है कि तलाक चाहने वालों को पहले समझाया जाए, उसके बाद भी वे इसके लिए राजी नहीं होते हैं तो बायन (बाद में चाहें तो दोबारा निकाह) कर दिया जाता है।
बताया गया है कि केंद्र व राज्य सरकार के बीच हुए समझौते के मुताबिक, मसाजिद कमेटी को मुस्लिम समाज के निकाह को पंजीयन का अधिकार है, मगर तलाक मंजूर करने का नहीं। साथ ही वह इमाम आदि को वेतन भी देता है। इसी कमेटी के अधीन परिवार परामर्श केंद्र है। भोपाल की मसाजिद कमेटी में भोपाल के अलावा रायसेन व सीहोर जिला भी आता है।