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इंसानियत की मिसालः मृत्यु के बाद भी बचाई तीन की जान

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पुणे। आजतक आपने पैसों, आभूषणों आदि के दानदाताओं के बारे में कई बार सुना होगा। पर आज हम आपको दान की एक ऐसी मिसाल के बारे में बताएंगे जिसके चलते जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे तीन लोगों को जीने की नई उम्मीद मिली। मामला है रॉयल राजस्थान विद्यालय आबूरोड की निदेशिका प्रफुला पाठक का जिनकी ब्रेन हैमरेज के कारण महाराष्ट्र के पुणे शहर मे निधन हो गया। जिसके बाद परिजनों ने उनके मृत शरीर को पुणे के एक हॉस्पिटल को दान कर दिया, जिससे उनके शरीर के अंगों की मदद से अस्पताल के तीन मरीजों की जान बचाई गई।

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अंगदान से बची तीन की जिंदगी- मृत्यु पश्चात भी इंसानियत की मिसाल कायम करने वाली प्रफुला पाठक ने अपने मृत्यु के बाद भी तीन लोगों को नई जिंदगी दी। प्रफुला को मृत घोषित किए जाने के बाद जब परिवार वालों ने उनके शरीर को पुणे के सहयाद्री स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल को दान कर दिया, संयोगवश उसी दौरान हॉस्पिटल में तीन मरीज अंगो के खराबी के चलते जिंदगी और मौत के बीच लड़ाई लड़ रहे थे, डॉक्टरों ने प्रफुला के अंगों का इस्तेमाल कर उन तीनों मरीजों को नई जिंदगी दी।

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 लीवर से किसान को मिली नई जिंदगी – प्रफुला का लीवर उसी अस्पताल में लीवर की खराबी के कारण भर्ती एक किसान को प्रत्यारोपित किया गया। डॉक्टरो का कहना है कि अस्पताल में भर्ती किसान कई दिनों से लीवर में खराबी के चलते मौत से लड़ रहा था। डॉक्टरों का कहना है कि उसे प्रफुला का लीवर लगाने के बाद काफी सुधार महसूस हुआ है, उसकी स्थिति अब काफी सही है और अगर कुछ दिनों में और सुधार होता है तो उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।

किडनी ने बचाई 20 वर्षीय युवक की जान- उसी अस्पताल में पिछले 6 महीनों से किडनी में खराबी के कारण भर्ती सतारा के एक 20 वर्षीय युवक की जान प्रफुला के किडनी से बचाई गई। प्रफुला की एक किडनी युवक में लगाई गई और उनकी दूसरी किडनी को भी पास के ही रुबी हॉल क्लीनिक मंे भर्ती किडनी खराबी के अंतिम दौर से गुजर रहे मरीज को दिया गया। इस तरह से दोनो किडनियों के दान से दो और लोगों की जान बचाई जा सकी।

आखिरी इच्छा थी शरीर आए किसी के काम- मानवता की मिसाल प्रफुला के परिवार वालो ने इस अद्भुत कारनामे के बाद बताया कि श्रीमति पाठक की ऐसी इच्छा थी कि मृत्यु के बाद उनका शरीर किसी के काम आ सके, उनकी इच्छापूर्ति के लिए उनके मृत शरीर को अस्पताल को दान किया गया, जिसके चलते तीन अन्य को नई जिंदगी मिली। परिवारजनों का कहना है कि श्रीमती प्रफुला की आत्मा को असली शांति मिलेगी।

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