देहरादून। पिथौरागढ़ में आयोजित होने वाले छह दिवसीय सीमांत बसंतोत्सव परम्परागत महोत्सवों एवं मेलों से बिल्कुल भिन्न है। इसमें 11000 स्कूली बच्चों की गूंज पूरे उत्तराखंड में सुनाई देगी। यहां केवल मनोरंजन ही नही है बल्कि सेवा, सुरक्षा, संस्कृति एवं समरसता के बयार देखने को मिलेगा, जो युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति के प्रति आकर्षित करेगा। यह महोत्सव 19 फरवरी से 24 फरवरी तक चलेगा। सीमांत सेवा फाउंडेशन के अध्यक्ष कैलाश थपलिया ने एक भेंट वार्ता में बताया कि बसंत उत्सव कार्यक्रम की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
बता दें कि यह कार्यक्रम 19 फरवरी से रामलीला मैदान सदर और देव सिंह मैदान में होंगे। 19 फरवरी को स्टेडियम में वंदे मातरम् कार्यक्रम रखा गया है। जिसमें विभिन्न स्कूलों के 11 हजार से अधिक बच्चों का वंदे मातरम कार्यक्रम होगा। सीमांत जनपद में पहली बार बसंत उत्सव कार्यक्रम कराया जा रहा है। उन्होंने सभी लोगों से कार्यक्रम का आनंद लेने की अपील की है। उन्होंने बताया कि रामलीला मैदान में रामकथा और क्षेत्र के विभिन्न मंदिरों की देव डोलियों का मिलन (देव मिलन) कार्यक्रम होगा। दूसरी ओर देव सिंह मैदान में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने आगे कहा है कि देव सिंह मैदान में भव्य छलिया नृत्य कार्यक्रम भी होगा।
साथ ही इस महोत्सव में धर्म और आध्यात्म के भाव के साथ-साथ राष्ट्रवाद की सेवा परिष्कृत होगा।समरसता का भाव अंतस को समृद्ध करने के साथ ही सामाजिक क्षेत्रों के पथ पदर्शक के रूप में सीमांत बसंतोत्सव मील का पत्थर साबित होगा। उनका कहना है कि सीमांत बसंतोत्सव मेला में होने वाले प्रत्येक कार्यक्रम के पीछे एक महत्वपूर्ण उद्देश्य वर्तमान पीढ़ी, समाज, परिवेश को परिमार्जित एवं जागरूक करना है। ग्यारह हजार स्कूली बच्चों के वंदे मातरम की गूंज पूरे उत्तराखंड में सुनाई देगी।
वहीं सैनिक बाहुल उत्तराखंड में ये अभिनव कार्यक्रम होगा, जो बच्चों एवं युवाओं के भीतर देशभक्ति के जज्बे को कई गुना बढ़ा देगा। प्राचीन एवं सनातन सेवा के भाव को बचाए एवं बनाए रखने के लिए फाउन्डेशन द्वारा निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जा रहा है, जिससे निश्चित रूप से हजारों लोग लाभान्वित होंगे। शहीदों के परिवारों एवं वीरांगनाओं का सम्मान, भूतपूर्व सैनिकों का उद्बोधन एक अभिनव पहल है।