नई दिल्ली। वंदे मातरम् को लेकर देश भर में जारी तानव को तब और हवा मिल गई जब उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में जीतकर आई एक मेयर ने राष्ट्रगीत वंदे मातरम् को गाने न गाने की बाध्यता समाप्त कर दी। वहीं अब इस मामले में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने कहा कि अगर मातृभूमि को नमन नहीं करेंगे तो क्या फिर अफजल गुरु को सम्मान और सलाम करेंगे। वंदे मातरम् गाने ना गाने की बाध्यता खत्म करने को लेकर उपराष्ट्रपति ने हैरानी जताते हुए कहा कि इस गीत का अर्थ मातृभूमि के प्रति सम्मान व्यक्त करना है तो फिर लोग इसे गाने से क्यों इनकार कर रहे हैं।
राजधानी दिल्ली में विश्व हिंदू परिषद के दिवंगत नेता अशोक सिंघल पर पुस्तक विमोचन के मौके पर उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् माने मां तुझे सलाम। इसे गाने में क्या समस्या है? अगर मां को सलाम नहीं करेंगे तो किसको करेंंगे, अफजल गुरु को सलान करेंगे क्या? बता दें कि अफजल गुरु को साल 2001 में संसद पर हमले का दोषी पाते हुए साल 2013 में फांसी पर लटका दिया गया था। नायडु ने कहा कि कुछ लोग इसका संकीर्ण अर्थ निकालने की कोशिश कर रहे हैं और राष्ट्रीयता पर हमला कर रहे हैं, लेकिन हिंदुत्व हमारी संस्कृति और परंपरा है।
उन्होंने कहा कि मैं लोगों को बताना चाहता हूं कि भारत माता की जय एक तस्वीर मात्र नहीं है बल्कि जाति, रंग, संप्रदाय और धर्म से अलग देश में रह रहे 130 करोड़ लोगों के बारे में है। वे सभी भारतीय हैं। गौरतलब है कि बहुजन समाज पार्टी की नवनिर्वाचित मेयर सुनीता वर्मा ने नगर निगम की बैठकों में ‘वंदे मातरम’ गाने की बाध्यता को खत्म करने का फैसला लिया है। वर्मा ने कहा म्युनिसिपल बोर्ड के संविधान के अनुसार बैठकों के पहले राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ गाया जाएगा।