हरिद्वार। उत्तराखण्ड में शांतिकुंज स्थित देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के एमएससी के छात्र चंचल सूर्यवंशी ने लगातार 134 मिनट तक शीर्षासन कर एक नया रिकार्ड बनाया। विश्वविद्यालय के प्रार्थना सभागार में प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या, डॉ. ज्ञानेश्वर मिश्र की चिकित्सकीय देखरेख में चंचल ने शीर्षासन किया। बैतूल (मध्यप्रदेश) के निवासी किसान दंपति गणपति सूर्यवंशी एवं ज्ञारसी के पुत्र चंचल सूर्यवंशी वर्ष 2012 से देसंविवि में अध्ययनरत हैं। तब से वे शीर्षासन का अभ्यास कर रहे हैं। पिछले वर्ष 90 मिनट तक शीर्षासन करने वाले देसंविवि के ही छात्र आदित्य प्रकाश से प्रेरित हो चंचल ने शीर्षासन के समय बढ़ाने का क्रम जारी रखा।
बचपन में पढ़ाई में औसत रहने वाले चंचल ने याददाश्त बढ़ाने के लिए पहले शतरंज का सहारा लिया। मामा नारायण खंडाई के मार्गदर्शन से योग में आगे बढ़ने के लिए देसंविवि को चुना, जहां उसे देसंविवि में कुलाधिपति डॉ. प्रणव पंड्या की गीता व ध्यान की कक्षा से प्रेरणा मिली कि युवा कभी हारता नहीं।
युवा जिस किसी भी क्षेत्र में संकल्पशक्ति के साथ आगे बढ़े, उसे सफलता अवश्य मिलती है। इसी दौरान उसे पता चला कि याददाश्त बढ़ाने के लिए ध्यान एवं योग सर्वोत्तम उपाय है। तब से योग में शीर्षासन का समय बढ़ाने में जुट गया। चंचल देसंविवि के मैस हॉल में बनने वाला खाना ही खाते हैं और वे बाहर के भोजन, फास्ट फूड आदि से परहेज रखते हैं। शीर्षासन का क्रम प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या अपने देखरेख में संपन्न कराया। उन्होंने 134 मिनट तक शीर्षासन करने के बाद चंचल की ब्लड प्रेशर, पल्स, हार्टबिट नापा, जो सामान्य रहा। कुछ ही समय बाद चंचल अपनी सामान्य दिनचर्या में जुट गया।
छात्र चंचल ने कहा, “कुलाधिपति डॉ. प्रणव एवं कुलपति शरद पारधी की प्रेरणा एवं प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय के मार्गदर्शन ने मुझे इस दिशा में आगे बढ़ने में सहयोग किया। मैं सभी का आजीवन आभारी रहूंगा। मेरे कोच व योग शिक्षक डॉ. सुनील यादव एवं योग विभागाध्यक्ष डॉ. सुरेश वर्णवाल के सहयोग के बिना 134 मिनट तक शीर्षासन नहीं कर पाता।” चंचल भविष्य में योग के क्षेत्र में शोधकार्य कर इसे वैज्ञानिक तरीके से जन-जन तक पहुंचाने की तमन्ना रखते हैं।