लखनऊ। मैडम माया के दिन इन दिनों कुछ अच्छे नहीं चल रहे हैं। एक तरफ एक के बाद एक वफादार पार्टी से किनारा करते जा रहे हैं। तो मोदी की नोटबंदी ने माया के चुनावी ढांचे को तबाह कर दिया है। अब हाईकोर्ट ने भी माया के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। बसपा के शासन काल में सूखा प्रभावित इलाकों के किसानों के लिए मैडम माया ने एक योजना बनाई थी। जिसके तहत किसानों को 540 ट्रैक्टर वितरित किए जाने थे। लेकिन कुछ ऐसी कारगुजारी हुई कि ये योजना विभाग और सरकार के कारिंदों की भेंट चढ़ गई और इसमें बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ।
अब हाई कोर्ट में सरकार की इस योजना के मद में हुई कारगुजारी को लेकर नीलेश सारस्वत की ओर से एक पीआईएल दाखिल की गई है। जिस पर हाईकोर्ट की बेंच ने सुनवाई करते हुए कृषि विभाग को आदेशित किया है कि इस प्रकरण में लंबित जांच को 3 माह में पूरा कर हाईकोर्ट में पेश करे। ये योजना साल 2010-11 में दलहन-तिलहन योजना के तहत किसानों में 540 ट्रक्टरों को बांटने के लिए बनाई गई थी। जिसका अनुमानित मूल्य 26 करोड़ था।
खासतौर पर ये योजना बुंदेलखंड के किसानों के लिए बनाई गई थी। इस योजना के कार्यान्वयन का दायित्व यूपी राज्य एग्रो इंडस्ट्रियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड को दिया गया था। लेकिन सरकार और कॉर्पोरेशन के अधिकारियों की मिली भगत से एमओयू मिलने के पहले ही ट्रैक्टरों की खरीद हो गई थी। साथ ही किसानों को कम्पनी ने अपने पास पड़े कबाड ट्रैक्टर बांट कार योजना की इतिश्री कर ली थी। अब इस योजना में हुए घोटाले पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। जो कि मैडम माया के लिए अब कोढ़ मे खाज जैसी दिख रही है।