नई दिल्ली। चुनावी माहौल के बीच नब्बे के दशक से चले आ रहे मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में 7 जजों की अध्यक्षता में सुनवाई शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धर्म और राजनीति को मिलाना संविधान की अवहेलना है, संविधान के सार के अनुसार राजनीति और धर्म को साथ नहीं जोड़ा जा सकता। न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने कहा कि 20 वर्षों पुराने मसले पर अब कुछ निर्णय लेना आवश्यक हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुत्व की व्याख्या और धर्म को हथियार बनाकर वोट मांगने के मामले पर हुई सुनवाई पर कहा कि धर्म के आधार पर वोट मांगना संविधान के अनुसार अपराध नहीं है पर इसे वोट बैंक की भ्रष्ट राजनीति में गिना जाएगा। 7 जजों की इस बेंच ने कहा कि ये मामला कानून की धारा 123 का मसला है, जिसके अनुसार चुनाव के दौरान लोगों की भावनाओं को धर्म, जाति, भाषा और समुदाय के आधार पर भड़काना भष्ट्र चुनावी राजनीति में आएगा। आगे की सुनवाई मंगलवार को जारी रहेगी।
क्या है पूरा मामला ?
ये पूरा मामला 90 के दशक का है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुत्व को इस महाद्वीप में रहने वाले लोगों की जीवन शैली कहा था, और ये एक मनः स्थिति है। इस फैसले को जस्टिस जे एस वर्मा ने मनोहर जोशी और एनबी पाटिल केस में सुनाया था। जिस पर मनेहर जोशी ने कहा था पहला हिंदू राज्य महाराष्ट्र में स्थापित होगा लेकिन जस्टिस जे एस वर्मा ने इस धर्म के आधार पर हुई अपील को नहीं माना था।