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युद्ध वीरों के साथ भारतीय सैन्य अकादमी में भारत खबर की खास बातचीत

उत्तराखंडः युद्ध वीरों के साथ भारतीय सैन्य अकादमी में भारत खबर की खास बातचीत

जब नीले आसमान में सूर्यदेव की किरणें अपनी आभा बिखेर रही हैं और वीरता के मंदिर में वीर अपनी पूरी साज-सज्जा में खड़े होकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहे हों, तो इसे देखने के लिए भी वीर ही आते हैं। भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए)  की पासिंग आउट परेड में आए कुछ युद्ध वीरों के साथ भारत खबर की टीम ने खास बात चीत की। उनके सेना में कार्य करते वक्त के अनुभवों को साझा किया और उम्र के इस पड़ाव में उनके देश भक्ति के जज्बे को सलाम किया।

 

उत्तराखंडः युद्ध वीरों के साथ भारतीय सैन्य अकादमी में भारत खबर की खास बातचीत
उत्तराखंडः युद्ध वीरों के साथ भारतीय सैन्य अकादमी में भारत खबर की खास बातचीत

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आइए बताते हैं सेना के पूर्व अधिकारियों के कुछ अनुभवों के बारे में जो कि आईएमए की पासिंग आउट परेड में शामिल हुए हैं। हमारे संवाददाता ने भारतीय सेना के दो पूर्व अधिकारीयों से बातचीत की। जिन्होंने सेना के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी जाकर योगदान दिया है।गौरतलब है कि भारत की और से श्रीलंका में एलटीटी के साथ मोर्चा लिया लेने वाले और सन 1989 में सियाचिन ग्लेशियर में पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने वाले कर्नल डोनियाल और कर्नल मनोज कुमार ने भारतीय सेना में अपने कार्यकाल में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

पूर्व सेना अधिकारी गोनियाल ने बताया कि सियाचिन ग्लेशियर वर्ल्ड का सबसे अलग वर्ल्ड का सबसे उंचा बैटलफील्ड है जहा रात में सैनिक जागते हुए हर खतरे से लड़ते हैं। उन्होंने कहा कि सामने पाकिस्तानी पोस्ट है और इस साइड हमारी पोस्ट है। पूर्व सैनिक ने कहा कि वहां छोटे हथियारों से नहीं बड़े हथियारों से भी गोलीबारी होती है। वहां की कंडीशन ऐसी है कि माइनस 40 टेंपरेचर पर रहना पड़ता है। कई तरह की बीमारी होती हैं जिसमें जवानों को रहना पड़ता है। अधिकारी ने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि ऐसी कंडीशन में भी हमेशा विरोधियों को मुंहतोड़ जवाब दिया है।

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भारत खबर के संवाददाता ने जब पूर्व सैनिक अधिकारी से पहलवान पोस्ट के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि वह एक ऐसी पोस्ट जहां काफी मशक्कत के बाद पहुंचा जा सकता है। लेकिन जब जवान जोश में हो जाते हैं तो वहां भी पहुंच जाते हैं और मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी निभाते हैं। वहीं दूसरे पूर्व अधिकारी कर्नल मनोज कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि एलटीटी के साथ मुकाबला एक अलग तरह का मुकाबला था। अधिकारी ने कहा कि हम एक भारतीय सेना के जवान थे,श्रीलंका सेना में गए थे। खास एरिया में एलटीटी के लोग छिपे हुए थे। ऐसे में हमारे ऊपर कई रिस्ट्रिक्शन थे, उन्होंने बताया कि हम खुलकर ऑपरेशन नहीं कर सकते थे वहां की जो आम जनता थी उसका भी हमें ख्याल रखना होता था।

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कर्नल ने कहा कि यह भारत का इस प्रकार का पहला ऑपरेशन था जो इस तरह का इंडिया ने किया था, लेकिन अब इस तरह का ऑपरेशन करने में भारतीय सेना पूरी तरह से सक्षम है। कर्नल मनोज कुमार और कर्नल डोनियल ने कहा कि आने वाले युवाओं को हम संदेश देते हैं कि देश के प्रति जो सैनिकों की ड्यूटी है वह किसी भी कीमत में नहीं भूलना चाहिए।

सैनिकों  को हमेशा देश को सर्वप्रिय समझना चाहिए और किसी भी तरह की अफवाहों से बच कर देश की सेवा करनी चाहिए। अधिकारियों ने बताया कि हम दोनों एनडीए करके यहां आईएमए से निकले थे। रेजीमेंट अलग-अलग थे काफी दिन बाद आज हम एक साथ यहां मिल रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि लेफ्टिनेंट कमांडर जनरल एसके झां भी हमारे कोर्स के हैं। उन्होंने कहा कि आज कमांडर जनरल एसके झां सलामी लेंगे। इसलिए हम खास तौर से यहां पर आए हैं।

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महेश कुमार यादव

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