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शेक दीन मोहम्मद को गूगल ने आज अपना डूडल बनाकर याद किया

शेक दीन मोहम्मद.. शेक दीन मोहम्मद को गूगल ने आज अपना डूडल बनाकर याद किया

शेक दीन मोहम्मद को गूगल ने आज अपना डूडल बनाकर याद किया है। मालूम हो कि शेक दीन मोहम्मद एक सर्जन, यात्री और उद्यमी थे। साल 1759 में पटना में जन्में शेक दीन मोहम्मद बड़े ही प्रतिभावान व्यक्ति थे। भारत और इंग्लैण्ड के बीच सांस्कृतिक रिश्तों को बढ़ाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वर्ष 1794 में आज के ही दिन उन्होंने इंग्लैण्ड में पहली अंग्रेजी किताब को प्रकाशित किया। इसके साथ ही वह इंग्लैंड में भारतीय रेस्तरां खोलने वाले पहले व्यक्ति बने थे।

 

शेक दीन मोहम्मद.. शेक दीन मोहम्मद को गूगल ने आज अपना डूडल बनाकर याद किया
शेक दीन मोहम्मद को गूगल ने आज अपना डूडल बनाकर याद किया

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आपको बता दें कि मोहम्मद के पिता ईस्ट इंडिया कंपनी में कार्यरत थे। 10 वर्ष की उम्र में शेक दीन मोहम्मद के पिता का निधन हो गया था। पिता के निधन के बाद उनको कैप्टन गॉडफ्रे इवान बेकर के विंग में शामिल कर किया गया। इवान बेकर एक एंग्लो-आयरिश प्रोटेस्टैंट (विरोध करने वाले) ऑफिसर थे।

शेक ईस्ट इंडिया कंपनी की बंगाल रेजिमेंट में एक सैनिक रहे। काफी दिनों तक सेना में अपनी सेवा देने के बाद शेक मोहम्मद सन् 1782 में ब्रिटेन पहुंच गए। आपको बता दें कि ब्रिटेन में 8 साल रहने के बाद उन्होंने वहां पहला भारतीय व्यंजन परोसने वाला एक रेस्तरां खोला। रेस्तरां ‘हिंदुस्तान कॉफी हाउस’ के नाम से था। शेक का रेस्तरां उनकी उम्मीद के अनुसार नहीं चला। लिहाजा उन्होंने दो साल पूरे हेने से पहले ही ये रेस्तरां बंद कर दिया।

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रेस्तरां के बंद होने के बाद वह इंग्लैण्ड के ब्राइटन शहर में रहने लगे। वहां उन्होंने अपने नाम से एक ‘बाथ स्पा’ खोला। इस बाथ स्पा में वह अपने ग्राहकों को हर्बल स्टीम बाथ देते थे। इसके साथ ही वह अपने ग्राहकों की चंपी यानी कि सिर की मालिश भी करते थे। इस चंपी को उन्होंने वहां के हिसाब से ‘शैंपू’ का नाम दिया था। एक समय ऐसा आया जब मोहम्मद की चंपी पूरे ब्रिटेन और यूरोप मशहूर हुई। उनकी इस कामयाबी का अंदाजा इस बात से भी लगया जा सकता है कि साल 1822 में इंग्लैंड के चौथे किंग जॉर्ज ने उन्हें अपने निजी चंपी सर्जन के तौर पर रख लिया।

ऐसा होने के बाद शेक दीन मोहम्मद के कारोबार में काफी इजाफा हुआ। आज भी इंग्लैण्ड के ब्राइटन संग्रहालय में शेक मोहम्मद की एक बड़ी तस्पीर है। लोग उनको दो देशों की संस्कृति को जोड़ने के तौर पर याद करते हैं।शेक मोहम्मद का निधन 1851 में 32 ग्रैंड परेड, ब्राइटन में हुआ। उन्हें सेंट निकोलस चर्च, ब्राइटन के ही एक कब्रिस्तान में दफनाया गया था।

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