दसॉल्ट कंपनी के सीईओ एरिक ट्रैपियर के समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू का असर राफेल विवाद पर इस कदर पड़ रहा है मानों आग में घी डाल दिया हों।आपको बता दें का राफेल डील पर सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष के बीच बयान बाजी थमने का नाम नहीं ले रही है।दसॉल्ट कंपनी के सीईओ ने अपने इंटरव्यू में भारत-दसॉल्ट के संबंधों के बारे में प्रतिक्रिया देते हुए राहुल गांधी के द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को निराधार बताया है।
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सीईओ के इस इंटरव्यू के बादकांग्रस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल डील पर ट्वीट किया है।राहुल गांधी ने मंगलवार को ट्वीट कर लिखा कि ”सुप्रीम कोर्ट में मोदीजी ने अपनी चोरी मान ली है। हलफनामे में सरकार ने माना कि उन्होंने बिना वायुसेना से पूछे कॉन्ट्रैक्ट बदला और 30000 करोड़ रुपये अंबानी की जेब में डाला। पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त।”
राहुल का ट्वीट-
सुप्रीम कोर्ट में मोदीजी ने मानी अपनी चोरी।
हलफ़नामे में माना कि उन्होंने बिना वायुसेना से पूछे कांट्रैक्ट बदला और 30,000 करोड़ रूपया अंबानी की जेब में डाला।
पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त…https://t.co/flCgrrlUjw
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 13, 2018
आखिर सही कौन बोल रहा है?
दसॉल्ट कंपनी के सीईओ द्वारा में दिए गए इंटरव्यू में राफेल डील पर राहुल के आरोपों के जवाब के बाद राहुल गांधी के ट्वीट ने सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर सही कौन बोल रहा है? मोदी सरकार और राफेल विमान निर्माता कंपनी के सीईओ या फिर विपक्षी कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी।यह समझना मुश्किल के साथ दिलचस्प भी हो गया है कि आखिर सच क्या है..?
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राहुल ने जिस तरह अपने ट्वीट में लिखा है कि ”पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त।” से तो यही जाहिर होता है कि राहुल कोई नया खुलासा करने की तैयारी में हैं।हाल फिलहाल राफेल पर सियासत की जुबानी जंग अपने चरम पर है। एक तरफ सरकार राफेल की कीमत को सार्वजनिक करने से सुरक्षा के लिहाज से अनुचित कहकर निकलना चाहती है। तो दूसरी और कांग्रेस राफेल सरकार को घेरकर अपनी खोई हुई जमीन तलासने की कोशिश कर रही।
सरकार ने राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अपना जवाब सौंपा है
बता दें कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बीते रोज यानी कि सोमवार को अपना जवाब सौंपा है। सील बंद लिफाफे में सौपें गए दस्तावेजों में कहा गया कि फ्रांसीसी पक्ष के साथ बातचीत तकरीबन एक साल चली और समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति की मंजूरी ली गई। याचिका के मुताबिक विमान के लिये रक्षा खरीद परिषद की मंजूरी ली गई और भारतीय दल ने फ्रांसीसी पक्ष के साथ बातचीत की। सरकार ने कहा है कि राफेल विमानों की खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 में निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया गया।
राफेल विवाद पर याचिका
गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने 36 राफेल विमानों की खरीद से संबंधित फैसलों की जानकारी सोमवार को याचिकाकर्ता को सौंप दी है। राफेल विवाद से जुड़ी याचिका वरिष्ठ वकील एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी। केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कुल 9 पेज के दस्तावेज सौंपे हैं। सरकार ने दस्तावेजों में राफेल सौदे की प्रक्रिया को बताया है।
दसॉल्ट ने रिलायंस को 284 करोड़ रुपये मदद के लिए दिए थे- राहुल का आरोप
दसॉल्ट कंपनी के सीईओ ने कहा कि राफेल डील में हमने जो पैसा इन्वेस्ट किया है वह रिलायंस नहीं बल्कि ज्वाइंट वेंचर में है। उन्होंने कहा कि इस वेंचर में रिलायंस ने भी पैसा लगाया है। हमारे इंजीनियर इंडस्ट्रीयल पार्ट को लीड करेंगे। इससे रिलायंस को भी एयरक्राफ्ट बनाने का एक्सपीरियंस मिलेगा। बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि दसॉल्ट ने रिलायंस को 284 करोड़ रुपये मदद के लिए दिए थे।