भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बढ़ते एनपीए ‘गैर निष्पादित परिसंपत्तियों’ को लेकर संसद की एक समिति को जवाब भेजा है। राजन ने अपने जवाब में यूपीए सरकार को एनपीए बढ़ोत्तरी की के लिए जिम्मेदार ठहराया।
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आपको बता दें कि जुलाई में संसद की प्राक्कलन समिति ने पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार ‘सीईए’ अरविंद सुब्रमण्यम से बढ़ते एनपीए संकट पर जवाब मांगा था। जिसके जवाब में उन्होंने कहा था कि भारतीय रिजर्व बैंक पूर्व गवर्नर रघुराम राजन से अच्छा कोई नहीं जान सकता।खबर के मुताबिक राजन ने अपने जवाब में कहा है कि घोटालों और जांच की वजह से सरकार के निर्णय लेने की गति धीमी होने की वजह से एनपीए की संख्या बढ़ी है।
जवाब में राजन ने कहा है कि बैंकों द्वारा बड़े कर्जों पर उचित कार्रवाई नहीं की
गौरतलब है कि सीनियर बीजेपी सांसद मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली संसद की प्राक्कलन समिति ने राजन को पत्र लिखकर समिति के सामने उपस्थित होकर एनपीए के मुद्दे पर जानकारी देने को अपने जवाब में राजन ने कहा है कि बैंकों द्वारा बड़े कर्जों पर उचित कार्रवाई नहीं की।आपको बता दें कि 2006 के बाद विकास की गति धीमी पड़ जाने के बाद बैंकों की वृद्धि का जो आकलन था वो अवास्तविक हो गया।गौरतलब है कि इससे पहले पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार ‘सीईए’ अरविंद सुब्रमण्यम ने एनपीए संकट को पहचानने और इसका हल निकालने का प्रयास करने के लिए समिति के सामने राजन की प्रशंसा की।
सुब्रमण्यम ने समिति को कहा था कि एनपीए की समस्या को सही तरीके से पहचानने का श्रेय पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को जाता है। उनसे बेहतर यह कोई नहीं जानता कि आखिर देश में एनपीए की समस्या कैसे इतनी गंभीर हो गई है। सुब्रमण्यम ने यह दावा किया था कि अपने कार्यकाल के दौरान राजन ने इस समस्या को हल करने की महत्वपूर्ण पहल की थी।
जोशी ने राजन को पत्र लिखकर समिति के सामने उपस्थित होने और उसके सदस्यों को देश में बढ़ते एनपीए के मुद्दे पर जानकारी देने को कहा है। सितंबर 2016 तक तीन साल आरबीआई के गवर्नर रहे राजन फिलहाल शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में वित्त मामलों के प्रोफेसर हैं। सुब्रमण्यम ने जुलाई में सीईए के नाते समिति के सामने बड़े कर्जों की भरपाई नहीं होने के मुद्दे पर जानकारी दी थी।