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संत बनना चाहते थे नरेंद्र मोदी,स्वामी माधवानंद की नसीहत से यूं बदली जिंदगी….

पीएम मोदी

सन 1967 में नरेंद्र मोदी पहली बार कोलकाता पहुंचे थे।और उस वक्त उनकी आयु महज 17 वर्ष की थी। मोदी ने हावड़ा जिले के बेलूर में स्थित रामकृष्ण मिशन के तत्तकालीन अध्यक्ष से मुलाकात की।आपको बता दें की इसकी जानकारी मिशन के सूत्रों द्वारा दी गई थी। गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी की कोलकाता की पहली यात्रा उस दौर में हुई जब देश की राजनीति में बड़े उतार-चढ़ाव देखे जा रहे थे।उसी समय देश में पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी बनीं।जब मोदी ने अपने मन में साधू बनने के भावों को सहेजे हुए बेलूर मठ में शिरकत की, तब उनकी मुलाकात रामकृष्ण मिशन के तत्कालीन अध्यक्ष स्वामी माधवानंद हुई। वैराग्य विचारों से ओत-प्रोत नरेंद्र ने स्वामी माधवानंद से स्वामी परंपरा में शामिल होने की इच्छा जाहिर की।

 

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संत बनना चाहते थे नरेंद्र मोदी,स्वामी माधवानंद की नसीहत से यूं बदली जिंदगी….

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माधवानंद ने नरेन्‍द्र मोदी को ऐसा करने से रोका और मन लगाकर शिक्षा ग्रहण करने की नसीहत दी। ऐसा सुनकर मोदी उदास मन से गुजरात लौट आए। फिर बाद पढ़ाई के दौरान उन्होंने दो बार संन्यास लेना चाहा।लेकिन उनकी इच्छा पूरी न हो सकी।कुछ सालों बाद मोदी राजकोट पहुंचे और वहां के रामकृष्ण मिशन आश्रम जाकर स्वामी आत्मस्थानंद से भेंट की और एक बार फिर से साधु बनने की इच्छा जाहिर की। लेकिन स्वामीजी ने कहा कि तुम दाढ़ी रखो, स्वामी ने इतना भर कह कर मोदी की साधु बनने की बात को अनसुना कर दिया।

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साल 2013 में मोदी बेलूर मठ पहुंचे थे। और छात्र जीवन मे संतो से हुई भेंट को याद कर भावुक हो गए थे। तब उन्होंने कहा था कि यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे बचपन में स्वामी माधवानंद व स्वामी आत्मस्थानंद जैसे पथ प्रदर्शक मिले थे। नरेंद्र ने स्वामी विवेकानंद को याद करते हुए कहा था कि  मैं आश्वस्त हूं, कि देश के नौजवान स्वामी विवेकानंद के विचारों का पालन करते हुए इसे जगतगुरु बनाएंगे।पुराने दिनों को याद करते हुए मोदी ने कहा कि किशोरावस्था के दिनों में स्वामी विवेकानंद द्वारा आरंभ इस मठ में, मैं आता रहा हूं। स्वामी आत्मस्थानंद से मुझे काफी प्यार और स्नेह मिला है। उन्होंने कहा कि हालांकि मुख्यमंत्री बनने के बाद मठ में मैं पहली बार आया हूं।मोदी ने कहा कि मेरा गुरूबंधुओं से बहुत ही लगाव है, रामकृष्‍ण मंदिर के सभी गुरूबंधु  मुझे हमेशा याद आते है।

बेलूर मठ रामकृष्ण मिशन-

हुगली नदी के तट पर बना स्वामी विवेकानन्द का निवास स्‍थान रहा है जो अब स्वामी विवेकानंदजी का समाधि स्थल है। यह पश्चिम बंगाल के शहर कोलकाता का प्रमुख पर्यटन स्थल भी है। यहीं रामकृष्‍ण मंदिर भी है। बेलूर मठ रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय है जिसकी स्‍थापना 1898 ई. में हुई थी।आपको बता दें कि बेलूर मठ रामकृष्ण 1938 में बना एक मंदिर हिंदू, मुस्लिम और ईसाई स्थापत्य कला का मिश्रण है। मठ में सभी धर्म के लोग आते हैं

आखिरी बार मोदी संत बनने के लिए बारह राजकोट पहुंचे थे, और वहां के रामकृष्ण मिशन आश्रम जाकर स्वामी आत्मस्थानंद से भेंट की फिर से साधु बनने की इच्छा जाहिर की  लेकिन स्वामीजी ने कहा कि तुम दाढ़ी रखो।और मोदी की बात को अनसुना कर दिया।इससे स्पष्ट है कि मोदी एक आस्थावान और सच्चे कर्म योगी हैं। वैराग्य भावना उनमें कूट-कूट कर भरी है।नरेंद्र आज जो भी हैं, उसके पीछे उक्त संतों का आशीर्वाद और दिशा निर्देशन है।, ऐसा मोदी भी खुद मानते कई बार उन्होंने इसका जिक्र भी किया है।

महेश कुमार यदुवंशी   

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