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उत्तराखंडः ‘लखवाड़ परियोजना’ की शुरूआत को लेकर अभी भी बना हुआ है संसय

सचिव उत्पल कुमार ... उत्तराखंडः 'लखवाड़ परियोजना' की शुरूआत को लेकर अभी भी बना हुआ है संसय

उत्तराखंडः सूबे में लंबे समय से लंबित बहुउद्देश्यी ‘लखवाड़ परियोजना’ के अभी तक शुरूआत को लेकर संसय बना हुआ है। केन्द्र सरकार ने चुनाव के समय बंद पड़ी सभी परियोजनाओं को सुचारू तौर पर शुरू करने की बात कही थी। इस परियोजना को यमुना बेसिन से जुड़े राज्य हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के साथ दिल्ली और हरियाणा शामिल है। ये बहुउद्देश्यीय परियोजना 300 मेगावाट विद्युत उत्पादन की क्षमता वाली है। लेकिन इस परियोजना का काम राज्य के गठन के पहले शुरू हुआ था। लेकिन पहले बजट के आभाव में ये परियोजना बंद करनी पड़ी थी। इस परियोजना को लेकर सरकार ने अब शुरूआत करने का मन बनाया है।

 

सचिव उत्पल कुमार ... उत्तराखंडः 'लखवाड़ परियोजना' की शुरूआत को लेकर अभी भी बना हुआ है संसय
उत्तराखंडः ‘लखवाड़ परियोजना’ की शुरूआत को लेकर अभी भी बना हुआ है संसय

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हांलाकि सरकारी तंत्र की मानें तो ये परियोजना जल्द भी मूर्त रूप ले लेगी। लेकिन केन्द्र सरकार को मौजूदा वक्त में 4 साल से ज्यादा का वक्त हो गया है तो वहीं राज्य सरकार के भी 2 साल पूरे होने वाले है ऐसे में अभी तक इस परियोजना में कुछ भी बड़ा नहीं हुआ है।

भारत खबर के संवाददाता ने मुख्य सचुव उत्पल कुमार से उक्त योजना के बारे में बातचीत की है। उत्पल कुमार ने इस बातचीत के दौरान बताया कि योजनाएं बड़ी कंपलेक्स होती हैं, और वित्त पोषण का भी समस्या होती है। कई सारी स्वीकृत होना लेनी होती हैं। कई राज्यों की स्वीकृति लेनी होती है। उत्तर कुमार ने कहा कि 2019 तक के अंत तक योजना प्रारंभ हो जाएगी। कुमार ने बताया कुछ कार्य शुरू हो गए हैं। अच्छी बात है यह एडिट का काम हो चुका है जिस पर पावर हाउस स्थापित होगा अंदर बांध का कार्य अभी और होना है। उन्होंने कहा कि बड़े प्रोजेक्ट में 3 से 4 साल लग जाते हैं।

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गौरतलब है कि इसमें कई राज्यों मसलन उत्तराखंड ,हिमाचल , हरियाणा, दिल्ली , उत्तर प्रदेश आदि यमुना रिवर बेसिक बोर्ड के सदस्य हैं। इस बोर्ड के द्वारा फैसला किया गया है कि इस परियोजना को आगे बढ़ाया जाए। कैबिनेट कमेटी आफ इकोनामिक अफेयर्स के द्वारा इसका निर्णय लेकर स्वीकृति जारी कर दी जाएगी। कुमार ने कहा पहले इसकी शुरूआत यूपी के टाइम में हुई थी। और अभी बंद हो गया था फंडिंग की समस्या के वजह से 2018 में ही यमुना रिवर अथॉरिटी नेअनुमति दी थी।

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