नई दिल्ली। उत्तराखण्ड के नए सीएम बनें त्रिवेंद्र सिंह रावत राजनीतिक गलियारों में कोई नया नाम नहीं है। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री की रेस में प्रकाश पंत और सतपाल महाराज को पीछे करके त्रिवेंद्र ने विधायकों का विश्वास जीता है। त्रिवेंद्र सिंह रावत प्रदेश के 11वें मुख्यमंत्री होंगे। त्रिवेंद्र शनिवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। त्रिवेंद्र के शपथ ग्रहण समारोह से पहले उनके बारे में कुछ खास बातें जानना जरूरी है कि वो समुदाय, वर्ग विशेष और किस तरह की छवि वाले राजनेता है।
-रावत, साल 1983 से 2002 तक आरएसएस के कार्यकर्ता रह चुके है। साथ ही वह उत्तराखंड के आयोग सचिव के पद पर भी रह चुके है। रावत ने 2014 के आम चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में अमित शाह के साथ काम भी किया है और इनके अमित शाह के साथ अच्छे संबंध भी है।
-रावत जो 56 साल के है वे तीसरी बार उत्तराखंड की डोईवाला विधानसभा सीट से तीसरी बार जीते हैं, वो पहली बार 2002 में डोइवाला सीट से विधायक बनें थे। साथ ही वे भाजपा के झारखंड इकाई के भी प्रभारी रह चुके हैं।
-चुनाव आयोग में दिए गए हलफनामा के अनुसार, रावत ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है।
कैसे आए अमित शाह के करीब
ऐसा माना जाता है कि साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने अमित शाह के साथ मिलकर चुनाव की जिम्मेदारी संभाली थी और भाजपा को 73 सीटों पर जीत मिली थी। चुनावी प्रचार और जीत के बाद रावत शाह के करीबी लोगों में शुमार हो गए।
बीज घोटाले में आया नाम
त्रिवेंद्र सिंह रावत वैसे तो साफ छवि वाले नेता मानें जाते हैं लेकिन उनका नाम एक बार बीज घोटाले में सामने आ चुका है। यह घोटाला 2007 में हुआ था, उस समय रावत कृषि मंत्री थे। जिसकी जांच नैनीताल हाईकोर्ट में चल रही है। बीज घोटाले में नाम आने के बाद रावत ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्हें इस मामले में जानबूझकर फंसाया जिसकी जांच में अब तक कुछ भी साबित नहीं हुआ है वो उन सभी लोंगो पर मानहानि का केस करेंगे जिन्होंने उनकी छवि पर दाग लगाने की कोशिश की।
पारिवारिक बैकग्राउंड
20 दिसंबर 1960 को पौड़ी के खैरासैंण में पैदा होने त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की है। उनकी पत्नी सुनीत रावत एक अध्यापिका है। रावत की 2 बेटियां है।