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जानिए कौन है आईएस का नया ‘जेहादी जॉन’

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बगदाद। कुख्यात आतंकी संगठन आईएस के नए जेहादी जॉन कहे जाने वाले आतंकी सिद्धार्थ धर ने सीरिया और इराक में अपने कब्जे वाले इलाकों से अपहृत की गई कई लड़कियों को यौन गुलाम बना रखा है। यह आतंकी बंधक बनाई गई लड़कियों को प्रताडि़त भी करता है। यह खुलासा आईएस की कैद से भागने में सफल रही एक यजीदी लडक़ी ने किया है।

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आईएस के चंगुल से भागने में सफल रही एक यजीदी लडक़ी निहाद बराकत ने यह खौफनाक खुलासा किया है। लडक़ी का कहना है कि आईएस के इस नए जेहादी जॉन ने उसे भी गुलाम बना रखा था। निहाद के मुताबिक सिद्धार्थ उर्फ अबू रुमेसा मोसुल का वरिष्ठ कमांडर बन गया है। काफी समय से वह लड़कियों का अपहरण कर उन्हें यौन गुलाम बना रहा है। दो साल पहले आतंकियों ने इराक के सिंजर पर हमला कर वहां से निहाद और उसके 27 परिजनों का अपहरण किया था। उस समय निहाद सिर्फ 16 साल की थी। अपहरण के बाद परिवार के सभी लोगों को अलग वर्गों में बांटा गया। बाद में परिवार की सभी लड़कियों को अन्य लोगों से अलग करके मोसुल ले जाया गया। निहाद के मुताबिक उसे कई बार पीटा गया और उसके साथ रेप भी किया गया। फिर जबरदस्ती उसकी शादी कुख्यात ऑस्ट्रेलियाई आतंकी अब्दुल सलाम मोहम्मद से करा दी गई, लेकिन डेढ़ महीने बाद ही वह मारा गया। इसके बाद निहाद ने भागने की कोशिश की लेकिन उसे पकड़ लिया गया और मोसुल के कमांडर सिद्धार्थ धर उर्फ अबू रुमेसा को सौंप दिया गया। हाल ही में उसने दूसरी बार भागने का प्रयास किया और कामयाब रही।

कौन है सिद्धार्थ धर उर्फ अबू रुमेसा: अबू रुमेसा अल ब्रिटानी उर्फ सिद्धार्थ धर संदिग्ध ब्रिटिश आतंकी है, जो आईएस के साथ में शामिल हो गया है। सिद्धार्थ धर का जन्म 1984 में लंदन में भारतीय मूल के एक हिंदू परिवार में हुआ था। बाद में उसने इस्लाम अपना लिया और अपना नाम अबू रुमेसा रख लिया। ब्रिटेन में रहते हुए सिद्धार्थ प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन अल मुहाजिरॉन के प्रवक्ता के रूप में काम करता रहा है। वह अपनी कट्टरपंथी इस्लामिक विचारधारा के प्रचार के लिए सोशियल मीडिया का इस्तेमाल करता था और ब्रिटेन में रहते हुए उसने अमेरिका, इजरायल और अरब देशों के विरोध में आयोजित कई प्रदर्शनों में हिस्सा लिया। 2014 में उसे ब्रिटिश अधिकारियों ने आतंकवाद भडक़ाने के आरोप में हिरासत लिया था, लेकिन वह जमानत पर छूट गया और अपनी पत्नी आयशा तथा चार बच्चों के साथ पेरिस भाग गया। यहाँ से वह 2014 में ही सीरिया आ गया और तभी से आईएस में शामिल हो गया। सिद्धार्थ की बहन और परिवार वालों का कहना है कि उनका सिद्धार्थ से कोई रिश्ता नहीं रहा

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