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होलिका दहन का ये है शुभ मुहूर्त…जानें कैसे शुरु हुई ये परंपरा

holi dehen होलिका दहन का ये है शुभ मुहूर्त...जानें कैसे शुरु हुई ये परंपरा

नई दिल्ली। फाल्गुन हिन्दू नए साल का अंतिम महीना होता है जिसका धार्मिक रूप से तो महत्व है ही साथ ही सामाजिक-सांस्कृतिक नजरिये से भी काफी महत्व है। ज्यादातर लोग पूर्णिमा पर व्रत भी रखते है जो सूर्योदय से शुरु होकर चंद्रोदय तक रखा जाता है। वहीं इस त्यौहार की सबसे खास बात ये है कि इसे पूरे देशभर में होली के त्योहार के रुप में मनाया जाता है। इस दिन लोग बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में तमाम लकड़ियों को इकट्ठा कर सभी प्रकार की नकारात्मकताओं की होली जलाते है।

holi dehen होलिका दहन का ये है शुभ मुहूर्त...जानें कैसे शुरु हुई ये परंपरा

जानिए क्या है पूर्णिमा व्रत की कथा:-

फाल्गुन पूर्णिमा के व्रत की वैसे तो अनेक कथाएं हैं लेकिन नारद पुराण में जो कथा दी गई है वह असुर राज हरिण्यकश्यपु की बहन राक्षसी होलिका के दहन की कथा है जो भगवान विष्णु के भक्त व हरिण्यकश्यपु के पुत्र प्रह्लाद को जलाने के लिये अग्नि स्नान करने बैठी थी लेकिन प्रभु की कृपा से होलिका स्वयं ही अग्नि में भस्म हो जाती है।

holi dehen 1 होलिका दहन का ये है शुभ मुहूर्त...जानें कैसे शुरु हुई ये परंपरा

इस प्रकार मान्यता है कि इस दिन लकड़ियों, उपलों आदि को इकट्ठा कर होलिका का निर्माण करना चाहिये व मंत्रोच्चार के साथ शुभ मुहूर्त में विधिपूर्वक होलिका दहन करना चाहिये। जब होलिका की अग्नि तेज होने लगे तो उसकी परिक्रमा करते हुए खुशी का उत्सव मनाना चाहिये और होलिका दहन के साथ भगवान विष्णु व भक्त प्रह्लाद का स्मरण करना चाहिये। असल में होलिका अहंकार व पापकर्मों की प्रतीक भी है इसलिये होलिका में अपने अंहकार व पापकर्मों की आहुति देकर अपने मन को भक्त प्रह्लाद की तरह भगवान के प्रति समर्पित करना चाहिये।
ये है पूर्णिमा व्रत की विधि:-

मान्यता है कि फाल्गुनी पूर्णिमा पर व्रत करने से व्रती के सारे संताप मिट जाते हैं सभी कष्टों का निवारण हो जाता है और श्रद्धालु पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। व्रती को पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय यानि चंद्रमा दिखाई देने तक उपवास रखना चाहिये। प्रत्येक मास की पूर्णिमा में उपवास व पूजा करने की भिन्न भिन्न विधियां हैं।

फाल्गुनी पूर्णिमा पर कामवासना का दाह किया जाता है ताकि निष्काम प्रेम के भाव से प्रेम का रंगीला पर्व होली मनाया जा सके।
2017 में फाल्गुनी पूर्णिमा व्रत 12 मार्च को रखा जायेगा। इसी दिन होलिका का दहन भी किया जायेगा। इस फाल्गुन पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं।

होलिका दहन – 6:23 से 8:23

भद्रा पूंछ – 04:11 से 05:23

भद्रा मुख – 05:23 से 07:23

पूर्णिमा तिथि आरंभ – 8:23 (11 मार्च 2017)

पूर्णिमा तिथि समाप्त – 8:23 (12 मार्च 2017)

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