जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे वैसे राजनीतिक सरगर्मिया भी तेज हो रही है। सभी राजनीतिक पार्टीयाँ अपने अपने हुक्म के इक्के खोलने मे लगे हैं और जनता जनार्दन को लुभाने की पुरजोर कोशिश जारी है। इसी बीच मोदी सरकार ने अपना सबसे बड़ा तुरुक का ईक्का फेंका है, आम चुनाव के कुछ दिन पहले मोदी सरकार ने किसानो को अपनी ओर खाींचने के लिए एमएसपी (मिनीमम सपोर्ट प्राईस) मे बढ़ोत्री कर दी है।
ये बढ़ोत्री धान, रागी, मक्का, मूंग, उड़द समेत चौदह खरीफ फसल पर किया गया है। सबसे ज्यादा बढ़ोत्री रागी मे हुआ है, रागी का मौजूदा समर्थन मूल्य 900 रुपये से बढ़ाकर 2,800 रुपये प्रति क्विंटल के पार किया गया है। ये कदम वाकई मे किसानो के लिए वरदान है, इससे किसानो को राहत तो मिलेगा ही साथ साथ किसानों का मनोबल भी बढ़ेगा। मोदी सरकार का ये फैसला आने वाले आम चुनाव मे टर्निंग प्वाईंट साबित होगा, और हो न हो इससे किसानों पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
बात यही खत्म नही होती, सवाल ये भी उठता है कि क्या मोदी सरकार ये कदम पहले नही उठा सकती थी ? क्या मोदी जी ने ये कदम सिर्फ वोट पाने के लिए उठाए हैं ? किसान क्या सिर्फ एलेक्शन के वक्त याद आते हैं ? आपको याद दिला दे कि 2009 मे भी यूपीए की सरकार ने भी ऐसा ही कदम उठाया था, मनमोहन सिंह ने किसानो को 155 रुपए को तौफा दिया था, यानि एमएमपी मे 155 रुपए की बढ़ोत्री हुई थी। मनमोहन सरकार के इस कदम ने उन्हे 2009 का चुनाव जितवा दिया। अब मोदी सरकार ने भी कुछ ऐसा ही किया है, इससे साफ तौर पर ये मालूम पड़ता है कि सरकारों के नजर मे जनता सिर्फ वोट डालने की मशीन हैं।