नई दिल्ली| मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने मंगलवार को कहा कि समान नागरिक संहिता को आगे बढ़ाने का कोई भी कदम महिलाओं के लिए नुकसानदायक है, क्योंकि समानता बराबरी की गारंटी नहीं है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए माकपा ने कहा कि ऐसा लगता है कि उनकी इच्छा महिलाओं की बराबरी सुनिश्चित करने की नहीं, बल्कि अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमान समुदाय को निशाने पर लेना है।
पार्टी ने एक बयान में कहा, “समान नागरिक संहिता के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कोई भी कदम, जैसा सरकार सीधे तौर पर तथा अपने संस्थानों के माध्यम से उठा रही है, वह महिलाओं के अधिकारों के लिए नुकसानदायक होगा। समानता बराबरी की गारंटी नहीं है। माकपा ने कुछ मुस्लिम महिला समूहों द्वारा एकपक्षीय तीन तलाक के खिलाफ मांग का समर्थन किया।
माकपा ने कहा, “अधिकांश इस्लामी देशों में विशेष कानूनों को मंजूरी नहीं है। इस मांग को मानने से प्रभावित महिलाओं को राहत मिलेगी। वाम दल ने हालांकि कहा कि बहुसंख्यक समुदायों के साथ ही सभी पर्सनल लॉ में सुधार की जरूरत है।माकपा ने कहा, “इस संदर्भ में, सरकार के प्रवक्ता द्वारा दावा किया गया है कि हिंदू महिलाओं के लिए पर्सनल लॉ में पहले ही सुधार कर लिया गया है।
यह दर्शाता है कि उनकी दिलचस्पी महिलाओं की समानता सुनिश्चित करने में नहीं, बल्कि अल्पसंख्यक समुदायों खासकर मुसलमानों को निशाना बनाने में है।माकपा के मुताबिक, “यहां तक कि अब भी संपत्ति का अधिकार व अपना जीवनसाथी चुनने के अधिकारों में हिंदू महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है।”