नई दिल्ली। भारत ने संयुक्त राष्ट्र के उस प्रस्ताव का विरोध किया है जिसमें मौत की सजा पर रोक लगाने संबंधी प्रस्ताव की बात की गई है। भारत ने कहा है कि हर राष्ट्र को अपने नियम और कानून बनाने के अधिकार हैं, यूएन द्वारा मौत की सजा पर रोक लगाना किसी भी देश की संप्रभुता का उल्लंघन करने जैसा है। इस बावत भारत के प्रतिनिधि मयंक जोशी ने कहा है कि वैसे किसी को भी मौत की सजा तब दी जाती है जब उसका अपराध दुलर्भ से ही बड़ा हो, इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि भारत ने घरेलू कानून प्रणाली विकसित करने के अधिकार पर संशोधन के बिल को समर्थन दिया है।
आपको बता दें कि मौत की सजा के इस प्रस्ताव को लेकर हुई वोटिंग में 115 मत इसके सहमति में पड़े जबकि 38 वोटरों ने इसका विरोध किया है। इस प्रस्ताव को लेकर भारत के संयुक्त राष्ट्रपति मिशन में काउंसलर ने कहा है कि मौत की सजा को लेकर यह नियम भारत के वैधानिक कानून के खिलाफ है इसलिए उन्होंने इसके समर्थन में वोट नहीं डाले हैं।
मौत की सजा के इस संशोधन के पक्ष मे 76 और विरोध में कुल 72 देशों ने अपने मतदान किए। यहां पर ज्ञात हो कि देश में इससे पहले भी सजा-ए मौत को लेकर चर्चाएं होती रही है, जिसमें कुछ लोगों ने इस बात पर अपनी सहमति बनाई थी कि देश से फांसी जैसी सजाओं को पूर्णरुप से समाप्त कर देना चाहिए। गौरतलब हो कि यह मामला आतंकी याकूब मेमन को दी गई मौत की सजा के बाद से ज्यादा गहरा गया था, जिसमें कि फांसी की सजा के विरोध में कई लोग खड़े हुए थे।