श्रीनगर| कश्मीर घाटी में 132 दिनों की बंदी के बाद शनिवार सुबह जिंदगी पटरी पर लौट आई। सड़कों पर बड़ी संख्या में वाहन नजर आए और बाजार, स्कूल, कार्यालय और व्यापारिक प्रतिष्ठान चार महीनों बाद पहली बार खुले। अलगाववादियों के विरोध प्रदर्शन और बंद के कारण कश्मीर घाटी में गत चार महीने से अधिक समय से जनजीवन ठप था।
कश्मीर घाटी में नोटबंदी की असुविधा का असर भी नहीं दिखा और श्रीनगर के बाजारों में ग्राहकों की भारी भीड़ नजर आई। घाटी में आठ नवम्बर को घोषित नोटबंदी का असर इसलिए भी नहीं दिखा, क्योंकि घाटी में व्यापार और अन्य गतिविधियां मध्य जुलाई से ही बंद थीं। अधिकांश बसें और सार्वजनिक वाहन सुबह जल्दी सड़कों पर चलने लगे थे, क्योंकि कार्यालय जाने, दुकानें खोलने और बैंकों से पैसे निकालने के लिए लोग भी घर से बाहर निकल गए थे।अधिकारियों ने कहा कि अशांति शुरू होने के बाद से सरकारी कार्यालयों, बैंकों और डाक घरों में पहली बार करीब सभी कर्मी उपस्थित थे।
साप्ताहिक विरोध सूची के साथ आन्दोलन की अगुवाई कर रहे अलगाववादी नेताओं ने बंद में दो दिनों की ढील दी और साप्ताहांत में लोगों से सामान्य गतिविधियां फिर से शुरू करने को कहा। प्राधिकारियों ने भी शनिवार को लोगों और वाहनों के उन्मुक्त आवागमन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया।
श्रीनगर और घाटी के अन्य जिला मुख्यालयों में अधिकांश जगहों पर यातायात जाम देखने को मिले, क्योंकि बड़ी संख्या में लोग उनके दैनिक कार्यो या सामान्य स्थिति का एक अनुभव करने हेतु बाहर जाने के लिए अपने-अपने घरों से बाहर निकल गए थे। 10वीं और 12वीं कक्षा के परीक्षार्थियों ने परीक्षा केंद्र तक पहुंचने के लिए पहली बार सार्वजनिक वाहनों का उपयोग किया।