नई दिल्ली। आई.ए.एस डॉ. हरिओम एक बेहतरीन सिंगर होने के साथ-साथ कमाल के साहित्यकार भी हैं। कहा जाता है कि, कला की कोई सीमा नहीं होती और इसी सार्थक करते हुये डॉ हरिओम का एक छुपा रूप सबके सामने आगया या यूं कह लीजिये कि, अब पूरी दुनिया इनके साहित्यिक और गायक रूप को देख और सुन पाएगी। हो सकता है निकट भविष्य में ये एक्टिंग में भी अपने हाथ अजमाते नजर आएं।
प्रशासनिक सेवा में कार्यरत होने के बाद भी एक इंसान में इतनी विविधताएं होना थोड़ा हैरत में डाल देता है। फिलहाल यहां हम बात कर रहे हैं उनके गायक रूप की। गाने का नाम है “मजबूरियां”। किशोर के लिखे इस गाने को संगीत से शानदार बनाया संगीतकार राज महाजन ने। एक इंसान में जीवन में क्या-क्या मजबूरियां हो सकती हैं जिनके चलते पूरा जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। इसी की झलक लिए यह गाना पछले दिनों रिकॉर्ड क्या गाया मोक्ष म्यूजिक में। राज महाजन के निर्देशन में गायक हरिओम की आवाज़ में ये गाना कुछ अलग ही बन पड़ा है।
इसे पहले भी डॉ हरिओम मोक्ष म्यूजिक के “यारा वे” और “सोचा न था जिंदगी” जैसे बेहतरीन गानों में अपनी आवाज़ का करतब दिखा चुके हैं। मोक्ष म्यूजिक और राज महाजन से अपने रिश्तों के बारे में डॉ हरिओम काफी खुल कर बात करते हुए नजर आये। रिकॉर्डिंग के दौरान हुई बातों का सिलसिला काफी लंबा चला।
अपने इस गाने के बारे में हरिओम कहते हैं, “यह गाना मेरे गाये हुये पिछले दोनों से अलग है. इसमें काफी मुश्किल सुर लगाने थे क्यूंकि गाने की डिमांड ही कुछ ऐसी थी। इस बार राज ने (जो कि मेरे काफी अच्छे दोस्त भी हैं) काफी बेहतरीन और अलग गाना बनाया है जो मार्केट में आने के बाद खुद को आसानी से लोगों से जोड़ लेगा। ज़िन्दगी में इंसान कभी न कभी खुद को मजबूर महसूस करता होगा। बस इसी बारे में यह गाना है। इसे रिकॉर्ड करने का मेरा अनुभव काफी अलग रहा। मैं खुद को आसानी से जोड़ पाया इससे। लगा ही नहीं कि,कोई गाना गा रहा हूं। कहीं-कहीं कुछ अप्स-डाउन भी रहे तो उसके लिए राज तो साथ में थे। इस गाने के लिए एक बात कहना चाहता हूं। जिस चीज़ से एक आम आदमी खुद को जुड़ा हुआ महसूस करता है वो हमेशा कामयाब रहती है।”