मुंबई। हाजी अली दरगाह के अंदर अब महिलाओं के प्रवेश से बैन हट गया है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने एकिहासिक फैसले में ट्रस्ट की ओर से दरगाह के भीतरी गर्भगृह में प्रवेश पर पाबंदी को गैरजरूरी माना और बैन हटा लिया। हालांकि अभी 6 हफ्ते तक महिलाएं मजार तक नहीं जा सकेंगी। हाजी अली दरगाह ट्रस्ट के प्रवक्ता ने कहा कि फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जाएगी।
कोर्ट ने कहा कि संविधान में महिलाओं और पुरुषों को बराबरी का दर्जा मिला है। जब पुरुषों को इसके अंदर जाने की अनुमति है तो महिलाओं को भी अंदर जाने दिया जाना चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कि महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध संविधान में दिए गए मूलभूत अधिकारों का विरोधाभासी है।
क्या था मामला:-
यह दरगाह मुंबई के वरली तट के निकट एक छोटे से टापू पर स्थित है। इसमें सैयद पीर हाजी अली शाह बुखारी की मजार है जिनके प्रति विभिन्न समुदायों के लोग श्रद्धा जताते हैं। ट्रस्ट ने जून 2012 में महिलाओं के प्रवेश पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि इस्लाम में महिलाओं को पुरुष संतों की कब्रों को छूने की अनुमति नहीं है और उनके लिए कब्र वाले स्थान पर जाना पाप है। जिसके बाद एक गैर सरकारी संगठन भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन तथा महिला कार्यकर्ता नूरजहां नियाज और जाकिया सोमन ने दरगाह के अंदरूनी हिस्से में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक के खिलाफ अदालत में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई के बाद अदालत ने यह फैसला दिया।