नई दिल्ली। नोट बंदी को लेकर आज 16 दिन हो गये हैं। सड़क से लेकर संसद तक चारों ओर कोहराम मचा है। लोगों की लाइने लगातार बैंकों के बाहर लगी हैं। सरकार पर विपक्ष लगातार हमलावर है। राज्यसभा से लेकर लोकसभा तक सदन लगातार हंगामे की भेंट चढ़ रहा हैं। लोगों की मुश्किलों को लकेर विपक्ष सरकार पर हमलावर है। लेकिन सरकार अपने इस फैसले पर टस से मस नहीं दिख रही है।amit mishra
यूं तो सरकार के हर फैसले पर भाजपा का थिंक टैंक राष्ट्रीय स्यवंसेवक संघ अक्सर पक्ष में आकर सरकार का बचाव करता है। लेकिन 16 दिनों में नोटबंदी पर आरएसएस की ओर से अभी तक कोई बड़ा बयान या सरकार के पक्ष में अपना मत या बचाव में अपनी अभिव्यक्ति नहीं आई है। ये एक बड़ा और गम्भीर यक्ष प्रश्न है। जिसका उत्तर या तो आरएसएस के पास है या फिर मोदी के पास।RSS
नोटबंदी पर आरएसएस दूर क्यूं
लेकिन बड़ा सवाल है आखिर मोदी और भाजपा का विचार मंच आखिर इस आंदोलन में क्यूं दूर है। आखिर पीएम मोदी के इस फैसले पर उनके एप ने जब बताया कि देश के 93% लोग इस कदम को अच्छा और ऐतिहासिक बता रहे हैं। तो ऐसे में RSS ने पीएम के इस फैसले से दूरी क्यूं बना रखी है। अभी तक पक्ष या विपक्ष में क्यूं नहीं बोल रही है।
ऐसे में कई सवाल उठने स्वभाविक हैं, कहीं ंRSS के पास तो कालधन नहीं था। जिसे मोदी के फैसले ने बर्बाद कर दिया। या फिर आरएसएस के प्रमोटरों के पास मौजूद कालेधन पर तो नहीं मोदी की इस इकोनामिक सर्जिकल स्ट्राइक का असर पड़ा है। MOHAN BHAGWAT
संघ सीधे जबाब से करारा रहा है
इस मुद्दे पर जब हमने संघ से जुड़े लोगों से बात करना चाहा आखिर क्या वजह है कि संघ की ओर से कोई बयान इस मुद्दे पर जब विपक्ष देश में मोदी सरकार के खिलाफ माहौल बना रहा है तो संघ चुप्पी साधे है पूछा है। तो बात को घुमा फिराक गोल मोल सा जबाब आया, ये जबाब साफ था कि इस मुद्दे पर अभी संघ कोई राय देने के पक्ष में नहीं है बस देश हित में हो हो रहा है वो सही है। लेकिन संघ आखिर क्यूं चुप है ये सवाल अपने आप में ही बड़ा है।
विपक्षी दलों का ही संघ से सवाल
वहीं इस मामले में विपक्षी दल लगातार सड़क से संसद तक सरकार को घेरे हुए हैं। वे लगातार नोटबंदी को लेकर सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं। इस दौरान अब विपक्षी खेमे के भीतर भी संसद के बाहर संघ की प्रतिक्रिया को लेकर सुगबुगाहट का दौर शुरू हो गया है। विपक्ष का मानना है कि हो सकता है कि नोटबंदी के फैसले पर पीएम मोदी ने संघ से भी कोई राय ना ली हो। अब इस मुद्दे पर विपक्ष भी संघ की प्रतिक्रिया के आने का इन्तजार कर रहा है। अगर संघ ने मोदी सरकार के खिलाफ कोई भी इस फैसले के खिलाफ बयानजारी किया तो सरकार पर विपक्ष पूरी तरह से हावी हो जायेगा।manmohan singh demonetisation debate
इस मुद्दे पर विपक्ष का क्या कहना है
कांग्रेस के प्रवक्ता राशीद मसूद का कहना है कि इस मामले में सरकार का निर्णय जनता पर भारी पड़ता जा रहा है। बैंकों से भीड़ कम नहीं हो रही है। संघ भी जनता से जुड़ा है हो सकता है कि इस मुद्दे पर भाजपा ने अपने थिंक टैंक RSS से राय ना ली हो, और अब जनता में भाजपा की छवि को खराब होता देख RSS ने भी अपनी साख बचाने के लिए इससे दूरी बनाई हो और सरकार के हर फैसले के पक्ष में खड़ी होने वाली संघ आज चुप हो।
लेकिन सवाल फिर भी वहीं और अधूरा है चलो सरकार की जनता में किरकिरी हो रही हैजैसा विपक्ष कह रहा है। इसीलिए संघ सरकार के इस मामले में चुप है। लेकिन अगर बात ये है तो संघ सरकार के रवैए पर उसे खबरदार भी कर सकता है। जैसा पहले भी कई मामलों में देखा गया है। लेकिन इस बार संघ चुप है। क्या मोदी ने संघ से किनारा कस कर ये फैसला लिया है। या संघ अपने पूंजीपति प्रमोटरों के कालेधन के बर्बाद होने से मोदी से इतना ज्यादा नाराज है कि इस मुद्दे पर वो दूरी बनाना चाह रहा है।
(अजस्रपीयूष)