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लोक आस्था का महापर्व छठ…महिलाएं देंगी डूबते सूर्य को अर्घ्य

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नई दिल्ली। आस्था के पर्व छठ के त्योहार को पूरे देश में धूम धाम के साथ मनाया जा रहा है। इस व्रत की शुरुआत नहाय खाय के साथ शनिवार को हुई और अगले दिन खरना किया गया जिसमें छठव्रती महिलाओं ने अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए दिन भर अखंड व्रत रखा और शाम को खीर का प्रसाद ग्रहण किया। इस आस्था के पर्व के तीसरे दिन यानि कि आज महिलाएं पानी में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देगी और सोमवार को सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर इस पावन पर्व का समापन करेंगी।

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जानिएं छठ पर्व का महत्व:-

ऐसा कहा जाता कि राजा प्रियंवद की कोई भी संतान नहीं थी तब महर्षि कश्यप के कहने पर प्रियंवद ने यज्ञ कराया और यज्ञ में चढ़ी हुई खीर को उनको पत्नी मालिनी को खाने के लिए कहा। ऐसा करने पर उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन वो मरा हुआ था। जिसके बाद राजा अपने मरे हुए पुत्र का शव लेकर शमशान गए और वियोग में अपने प्राण त्यागने लगे। उनकी स्थिति को देखकर भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुई और उन्होंने राजा को कहा कि क्योंकि वो सृष्टि की मूल प्रवृति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हैं, इसी कारण वो षष्ठी कहलातीं हैं। इसके साथ ही उन्होंने राजा प्रियंवद को उनकी पूजा करने और लोगों को प्रेरित करने को कहा। देवी षष्ठी का व्रत रखने पर राजा को फिर से संतान की प्राप्ति हुई और तभी से छठ का त्योहार मनाया जाता है।

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इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि इस पर्व की शुरुआत महाभारत से हुई थी। ऐसी मान्यता है कि सूर्यपुत्र कर्ण ने भी सूर्य देवता की पूजा घंटो पानी में खड़े रहकर की थी और उन्हें अर्घ्य दिया था। जिसकी वजह से वो एक महान योद्धा बने थे।

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