नवरात्र का पहला दिन मां भगवती के प्रथम स्वरुप माँ शैलपुत्री को समर्पित है। मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं इसलिए इन्हें पार्वती एवं हेमवती के नाम से भी जाना जाता है। मां शैलपुत्री का वाहन वृषभ है, इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल एवं बाएं हाथ में कमल पुष्प है. भक्तगण मां शैलपुत्री की आराधना कर मन वांछित फल प्राप्त करते हैं।
मां दुर्गा को मातृ शक्ति यानी करूणा और ममता का स्वरूप मानकर पूजा की जाती है। अत: इनकी पूजा में सभी तीर्थों, नदियों, समुद्रों, नवग्रहों, दिग्पालों , दिशाओं, नगर देवता, ग्राम देवता सहित सभी योगिनियों आमंत्रित होती हैं। कलश स्थापना के समय इन सभी का आह्वाहन किया जाता है और विराजने के लिए प्रार्थना की जाती है।