धर्म

देवउठनी एकादशी के दिन किया जाता है तुलसी विवाह…जानें क्यों?

dev uthani 1 देवउठनी एकादशी के दिन किया जाता है तुलसी विवाह...जानें क्यों?

नई दिल्ली।कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी या फिर देवोत्थान एकादशी के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु नींद से जाग जाते हैं जिसके बाद से जितने रुके हुए कार्य है वो शुरु कर दिए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन तुलसी विवाह की प्रथा भी प्रचिलत है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जो भी व्रत रखकर तुलसी की पूजा करता है उसके विवाह की सभी अड़चनें दूर हो जाती है।

dev_uthani

जानिए एकादशी के दिन क्यों रखते हैं उपवास :-

ऐसी मान्यता है कि एक राजा के राज्य में सभी लोग एकादशी का व्रत रखते थे और उस दिन प्रजा से लेकर जानवर किसी को भी एक भी अन्न का दाना नहीं दिया जाता था। एक दिन किसी दूसरे राज्य का व्यक्ति राजा के पास आया और नौकरी पर रखने की दरखास्त की। इस पर राजा ने उससे कहा कि एकादशी को छोड़कर बाकी सब दिन तुम्हें अन्न मिलेगा। लेकिन जब एकादशी के दिन उसे फलाहार दिया गया तो वो रोता हुआ राजा के समीप पहुंचा और उनके अन्न देने की बात करने लगा। राजा ने उसको दाल-चावल दे दिया। इस अन्न को पकाने के लिए वो रोज की तरह नदी के पास गया और भोजन को पकाने लगा।

dev_uthani

भोजन पकते ही वो भगवान का आह्वान करने लगा। कुछ समय बीत जाने के बाद अगली एकादशी को राजा से दोगुना सामान देने की बात करने लगा। कारण पूछने पर उसने कहा कि हमारे साथ भगवान भी भोजन खाते हैं इसलिए ये सामान काफी कम पड़ गया। अपने सेवक की बात सुनकर राजा को आश्चर्य हुआ जिस पर महाराज ने कहा मुझे इस बात पर विश्वास नहीं है कि तुम्हारे साथ भगवान भोजन करतें हैं। इस पर सेवक बोला महाराज आप मेरे साथ चलकर उस दृश्य के साक्षी बन सकते हैं।

राजा पेड़ के पीछे जाकर छुप गए। सेवक भोजन बनाकर शाम तक भगवान की प्रतीक्षा करता रहा जिस पर मायूस होकर वो अपने प्राण त्यागने के उद्धेश्य से नदी की तरफ बढ़ा जिसके बाद तुंरत भगवान प्रकट हुए और भोजन को ग्रहण किया। ये अद्भुत लीला देखकर राजा को एहसास हुआ कि व्रत और उपवास से तब तक कोई लाभ नहीं मिलता जब तक आपका मन शुद्ध न हो जिसके बाद वो भी व्रत उपवास करने लगा और अंत में स्वर्ग को प्राप्त हुआ।

इसी दिन हुआ था तुलसी विवाह:-

वैसे तो एकादशी से जुड़ी हुई कई कथाएं प्रचलित है। ऐसी ही एक परंपरा तुलसी -शालिदग्राम विवाह की भी है। मान्यता के अनुसार शालिग्राम भगवान विष्णु का ही स्वरुप है। तुलसी विवाह में तुलसी के पौधे और शालिग्राम का विवाह कराया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति तुलसी के साथ शालिग्राम का विवाह करवाता है उसका दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है और ऐसा कराकर किसी कन्या का दान करने जैसा फल प्राप्त होता है। जो लोग इस दिन व्रत रखते है वो तुलसी के पौधे को दुल्हन की तरह सजाते है और शाम को शालिग्राम के साथ उसे विवाह के बंधन में बांध देते है।

tulshi_pooja

yogesh-jain-astrologer

योगेश जैन, गुरु

फोन नं – 9560711993

ई मेल आई डी- yogeshjain1967@gmail.com

Related posts

7 अक्टूबर 2022 का राशिफल, जानें आज का पंचांग, तिथि और राहुकाल

Rahul

Shardiya Navratri 2022: नवरात्रि का तीसरा दिन आज, जानिए मां चंद्रघंटा की पूजा, पूजा विधि और मंत्र

Rahul

22 फरवरी 2023 का राशिफल, जानें आज का पंचांग, तिथि और राहुकाल

Rahul