नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का केंद्रीय बोर्ड नए गर्वनर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में शुक्रवार को बैठक करेगा। इसमें निदेशकों द्वारा केंद्रीय बैंक की निर्णय लेने की प्रक्रिया में अधिक भूमिका की बात हो सकती है। बैठक में 19 नवंबर, 2018 को हुई आखिरी बैठक में लिए गए निर्णयों की प्रगति की समीक्षा की जाएगी।
उर्जित पटेल द्वारा इस्तीफा देने के बाद पहली बैठक
अनुमान है कि बैठक में अन्य मुद्दों के अलावा नोटबंदी व वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने से दबाव में आए लघु, सूक्ष्म व मझोले उद्योगों (एमएसएमई) का भी जायजा लिया जा सकता है। व्यक्तिगत कारणों के कारण केंद्रीय बैंक के गवर्नर पद से उर्जित पटेल द्वारा इस्तीफा देने के बाद यह बैठक आयोजित की जा रही है।
हालांकि पटेल के इस्तीफे की वजह वित्त मंत्रालय व आरबीआई के बीच अनबन जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। सितंबर, 2019 में पटेल का तीन वर्षों का कार्यकाल पूरा हो जाता। जानकारी के मुताबिक अनुसार इस बैठक का प्रमुख मुद्दा रिजर्व बैंक के शासन से भी जुड़ा होगा, यानी केंद्रीय बोर्ड की आरबीआई के निर्णय में भूमिका।
सरकार भी चाहती है भूमिका विस्तार
मौजूदा स्ट्रक्चर के अनुसार केंद्रीय बोर्ड निर्णयों में एक सलाहकार की भूमिका निभाता है, लेकिन इसे क्रियाशील करने और केंद्रीय बैंक के निर्णयों में बोर्ड की भूमिका बढ़ाने की भी कोशिश हो रही है। सूत्र ने कहा कि सरकार भी केंद्रीय बैंक के निर्णयों में अधिक जुड़ाव चाहती है।
जैसा कि सरकार को लगता है कि मौजूदा प्रणाली में उसे लोन के भुगतान में एक दिन की देरी में भी उसे एनपीए में बदलने जैसे कई गंभीर मुद्दों से दूर रखा जाता है। आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की अध्यक्षता गवर्नर के हाथ में होती है, इसमें दो सरकारी नामांकित निदेशक व 11 स्वतंत्र निदेशक शामिल होते हैं। फिलहाल बोर्ड में कुल 18 सदस्य हैं जिसे बढ़ाकर 21 तक किया जा सकता है।