नई दिल्ली। वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि भारत 8 फीसदी की विकास दर हासिल कर सकता है और केंद्र और राज्य के सम्मिलत प्रयासों से यह लंबे समय तक बनी रह सकती है। सीतारमण ने यहां विश्व आर्थिक मंच द्वारा आयोजित भारत आर्थिक शिखर सम्मेलन में कहा, “मैं समझती हूं कि इसे (8 फीसदी) प्राप्त करना संभव है। राज्यों के साथ हम मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत कर रहे हैं। जिन मुद्दों पर सरकार काम कर रही है उसे राज्यों का भी अच्छा समर्थन मिला है।”
उन्होंने कहा कि सरकार के साथ निजी भागीदारी इस प्रक्रिया को तेज कर सकती है। इस बैठक में जीई हांगकांग एसएआर के उपाध्यक्ष जोन राइस ने कहा, “भारत को समावेशी टिकाऊ विकास की जरूरत है। इसके लिए हर महीने एक लाख नौकरियों का सृजन करना होगा और उन नौकरियों को बनाए रखना होगा। इसलिए डिजिटल प्रभावकारिता के साथ ही कौशल निर्माण पर ध्यान देने की जरूरत है।”
वृद्धि दर हासिल करने के लिए उन्होंने बताया कि भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करते हुए वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देना होगा। वेदांता रिसोर्सेज के संस्थापक अनिल अग्रवाल ने कहा, “दुनिया में भारत के बारे में ऐसी चर्चा है कि ऐसा विकास पिछले दो दशकों में नहीं देखा गया है और डिजिटल युग के साथ ही संसाधनों की उपलब्धता भारत को सतत विकास की दिशा में ले जा सकता है।”
पेटीएम के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी विजय शंकर शर्मा ने कहा कि भारत के पास प्रौद्योगिकी में काफी अवसर है जिससे ज्यादा से ज्यादा नौकरियों के सृजन में मदद मिलेगी। हावर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ऑफ इकोनॉमिक गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत बेहद मजबूत स्थिति में है और दुनिया में एक मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में देखा जा रहा है।
गोपीनाथ ने कहा, “लेकिन प्रश्न यह है कि भारत इस विकास दर को आनेवाले दशकों में कैसे बरकरार रखता है। सबसे चुनौती व्यापार में आसानी मुहैया कराने के साथ ही विकास दर को बरकरार रखना है।”